कोरोना असर : विवाद से विश्वास स्कीम व टैक्स रिटर्न की बढ़ेगी समय सीमा, 31 मार्च की समय सीमा से मिलेगी सबको राहत

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर विभाग ने सरकार से नए वित्त वर्ष को एक मई से शुरू करने की मांग की है।

By NiteshEdited By: Publish:Mon, 23 Mar 2020 07:40 PM (IST) Updated:Tue, 24 Mar 2020 06:05 PM (IST)
कोरोना असर : विवाद से विश्वास स्कीम व टैक्स रिटर्न की बढ़ेगी समय सीमा, 31 मार्च की समय सीमा से मिलेगी सबको राहत
कोरोना असर : विवाद से विश्वास स्कीम व टैक्स रिटर्न की बढ़ेगी समय सीमा, 31 मार्च की समय सीमा से मिलेगी सबको राहत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन को देखते हुए सरकार 31 मार्च को खत्म होने वाली कई तारीखों को आगे बढ़ा सकती है। जल्द ही इसकी घोषणा भी कर दी जाएगी। इनमें मुख्य रूप से हाल ही में अधिसूचित विवाद से विश्र्वास स्कीम से लेकर वित्त वर्ष 2018-19 की टैक्स रिटर्न फाइलिंग शामिल है। पैन से आधार कार्ड को जोड़ने की अंतिम तारीख भी 31 मार्च है। इसमें भी राहत मिल सकती है। दूसरी तरफ, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर विभाग ने सरकार से नए वित्त वर्ष को एक मई से शुरू करने की मांग की है।

नए वित्त वर्ष की शुरुआत एक अप्रैल से होती है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर यह मांग की है। अधिकारियों के मुताबिक विवाद से विश्र्वास स्कीम में शामिल होने की आखिरी तारीख 31 मार्च है जबकि इन दिनों सभी सरकारी महकमों में आधे कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। आधे कर्मचारी घर से काम-काज संभाल रहे हैं। ऐसे में 4 लाख से अधिक विवादित मामलों के विवादित टैक्स को जोड़ना और फिर उसे अंजाम देना अभी की स्थिति में संभव नहीं है।

मुंबई के इनकम टैक्स विभाग प्रमुख ने तो सीबीडीटी को विवाद से विश्र्वास स्कीम की तारीख बढ़ाने के लिए पत्र भी लिखा है।टैक्स विभाग के मुताबिक 80 सी के तहत छूट लेने के लिए आम लोग जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, पीपीएफ जैसी स्कीमों की किस्त भरते है, उसकी तारीख भी बढ़ने की संभावना है। इन किस्तों को 31 मार्च तक जमा करने पर ही उन्हें वित्त वर्ष 2019-20 के इनकम टैक्स में इसका फायदा मिलेगा। एलआईसी ने 31 मार्च तक जमा होने वाले प्रीमियम की अवधि को 15 दिनों के लिए बढ़ा दिया है।

वित्त वर्ष 2018-19 के इनकम टैक्स रिटर्न को लेट फाइन के साथ फाइल करने की आखिरी तारीख 31 मार्च है। इस समय सीमा में भी मोहलत मिल सकती है।वित्तीय विशेषज्ञों के मुताबिक नए वित्त वर्ष को एक अप्रैल की जगह एक मई से लागू करने में सरकार के सामने तकनीक समस्या आ सकती है। टैली जैसे कुछ सॉफ्टवेयर ऐसे हैं जो नए वित्त वर्ष में अपने आप ही अपडेट हो जाते है। 

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