खाद्य सब्सिडी का हो स्थायी सामधान: सुरेश प्रभु

विकासशील देशों का जी-33 समूह दुनिया की दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधि है

By Surbhi JainEdited By: Publish:Mon, 11 Dec 2017 10:28 AM (IST) Updated:Mon, 11 Dec 2017 10:28 AM (IST)
खाद्य सब्सिडी का हो स्थायी सामधान: सुरेश प्रभु
खाद्य सब्सिडी का हो स्थायी सामधान: सुरेश प्रभु

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वाणिज्य व उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि विकासशील देशों के लिए खाद्य सब्सिडी का मसला स्थायी रूप से सुलझाया जाना चाहिए। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के 11वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन से पहले जी-33 समूह की बैठक में यह बात कही। गौरतलब है कि भारत किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने और गरीब उपभोक्ताओं को सस्ती कीमत पर भोजन सुलभ कराने के लिए अनाज की खरीद करता है। इस पर दी जाने वाली सब्सिडी को विकसित देश डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन बताकर विरोध करते रहे हैं।

जी-33 समूह की बैठक में हिस्सा लेने के बाद ट्वीट करके प्रभु ने कहा कि मंत्रिस्तरीय बैठक में खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक भंडारण के मसले का स्थायी समाधान निकलना चाहिए। इस समाधान में विकासशील देशों में खाद्य सुरक्षा के लिए मौजूदा और भावी कार्यक्रमों को शामिल किया जाना चाहिए। जी-33 समूह 47 विकासशील देशों का समूह है जिसका उद्देश्य और चिंताएं एक समान हैं। खाद्य सुरक्षा और किसानों की आजीविका को प्रभावित करने वाले मसलों को उठाने के लिए यह समूह सक्रिय है। इस मसले पर ठोस कदम की जरूरत बताते हुए प्रभु ने कहा कि पूरी दुनिया में करोड़ों गरीबों को दो वक्त की रोटी सुनिश्चित करने के लिए इस तरह के कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने विकासशील देशों में बढ़ते आयात और मूल्य में गिरावट थामने के लिए स्पेशल सेफगार्ड मैकेनिज्म (एसएसएम) की भी जरूरत बताई। विकसित देशों में कृषि उत्पादों पर भारी सब्सिडी देने के कारण वहां से सस्ते मूल्य पर खाद्य वस्तुओं की सप्लाई विकासशील देशों को होती है। प्रभु ने कहा कि खाद्य सब्सिडी का मसला विकासशील देशों के किसानों की आजीविका से जुड़ा है। उनके अनुसार पिछले दो दशकों से चुनिंदा देशों के लिए उपलब्ध छूट के लिए जी-33 समूह लंबे समय से मांग कर रहा है। यह समूह दुनिया की दो-तिमाही आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। यह अधिकांश गरीब और वंचित किसानों की आवाज उठाता है।

भारत को समर्थन की उम्मीद
प्रभु ने उम्मीद जताई है कि भारत को खाद्य सुरक्षा, दोहा डवलपमेंट एजेंडा (डीडीए) और छोटे किसानों की सुरक्षा जैसे मसलों की तरह आगे भी सदस्य देशों का समर्थन मिलेगा। डब्ल्यूटीओ के 164 देशों की मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत से पहले उन्होंने यूरोपियन यूनियन के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।

क्या है डब्ल्यूटीओ
डब्ल्यूटीओ की शर्तो के मुताबिक सदस्य देश वर्ष 1986-88 के रेफरेंस प्राइस पर कुल उत्पादन के मूल्य के अनुपात में दस फीसद से ज्यादा सब्सिडी नहीं दे सकता है। देश में खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम पूरी तरह लागू होने पर इस शर्त का उल्लंघन होने की आशंका से चिंतित भारत खाद्य सब्सिडी सीमा की गणना के लिए फॉर्मूले में संशोधन की मांग कर रहा है। अंतरिम उपाय के तहत डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों में बाली में हुई मंत्रिस्तरीय बैठक में दिसंबर 2013 में पीस क्लॉज की व्यवस्था लागू करने पर सहमति बनी थी और तय हुआ था कि ब्यूनर्स आयर्स में होने वाली 11वीं बैठक में स्थायी समाधान निकाला जाएगा। पीस क्लॉज में सदस्य देश किसी विकासशील देश द्वारा सब्सिडी सीमा के उल्लंघन का मसला नहीं उठाएगा। यह क्लॉज मसले का स्थाई समाधान निकलने तक जारी रहेगा।

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