FY-91 to FY-16: 26 सालों में 26 गुना बढ़ा देश के राज्यों का राजकोषीय घाटा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सबसे आगे

बीते दो दशकों के दौरान राज्यों का सकल राजकोषीय घाटा तेजी से बढ़ा है

By Praveen DwivediEdited By: Publish:Sat, 24 Jun 2017 02:22 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jun 2017 06:35 PM (IST)
FY-91 to FY-16: 26 सालों में 26 गुना बढ़ा देश के राज्यों का राजकोषीय घाटा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सबसे आगे
FY-91 to FY-16: 26 सालों में 26 गुना बढ़ा देश के राज्यों का राजकोषीय घाटा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सबसे आगे

नई दिल्ली (जेएनएन)। देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश और आकार में सबसे बड़े राजस्थान के नेतृत्व में देश के राज्यों का सकल राजकोषीय घाटा 4,93,360 करोड़ के स्तर पर पहुंच गया। यह वित्त वर्ष 2016 का आंकड़ा है, जबकि वित्त वर्ष 1991 में यह आंकड़ा 18,790 करोड़ का था। यानी यह बीते 26 सालों में 26 गुना का विस्तार है। यह जानकारी आरबीआई की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के जरिए सामने आई है।

हाल ही में जारी किए गए आरबीआई के सांख्यिकीय प्रकाशन के दूसरे संस्करण के मुताबिक, जिसे '2016-17 के राज्यों में आंकड़ों की पुस्तिका' शीर्षक दिया गया है, “वित्त वर्ष 2017 के लिए राज्य सरकारों के बजट अनुमान के मुताबिक इस अंतर के सुधरकर 4,49,520 करोड़ होने का अनुमान है।”

तेजी से बढ़ा राज्यों का राजकोषीय घाटा:

वित्त वर्ष 1991 के दौरान उत्तर प्रदेश का राजकोषीय घाटा सिर्फ 3,070 करोड़ था, जो वित्त वर्ष 2016 आते आते 64,320 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, हालांकि वित्त वर्ष 2017 में इसके सुधरकर 49,960 करोड़ होने की उम्मीद है। वहीं अगर राजस्थान की बात करें तो वित्त वर्ष 1991 में राज्य का राजकोषीय घाटा 540 करोड़ था जो वित्त वर्ष 2016 में बढ़कर 67,350 करोड़ रुपए हो गया। हालांकि वित्त वर्ष 2017 के दौरान इसके भी घटकर 40,530 करोड़ होने की उम्मीद है।

क्या है अन्य राज्यों की स्थिति:

वहीं महाराष्ट्र, जिसे सबसे ज्यादा शहरी और औद्योगिक राज्यों में से एक गिना जाता है का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 1991 में 1,020 करोड़ रुपए का था लेकिन वित्त वर्ष 2016 तक यह आंकड़ा 37,950 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया। वित्त वर्ष 2017 में इसमें भी सुधार की उम्मीद है और यह घटकर 35,030 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।

इसके अलावा अगर अन्य राज्यों की बात करें तो वित्त वर्ष 1991 में गुजरात का राजकोषीय घाटा मात्र 1,800 करोड़ रुपए का था जो वित्त वर्ष 2016 में 22,170 करोड़ रुपए हो गया। वहीं माना जा रहा है कि वित्त वर्ष 2017 के दौरान इसमें और इजाफा हो सकता है और ये बढ़त के साथ 24,610 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच सकता है।

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