19 महीनों के निचले स्तर पर रुपया, यहां उठाने पड़ सकते हैं नुकसान
डॉलर के मुकाबले रुपये ने बुधवार को 19 महीने का निम्नतम स्तर छुआ
नई दिल्ली (सुरभि जैन)। विदेशी निवेशकों की ओर से भारतीय बाजार से हो रही डॉलर की निकासी, क्रूड की कीमतों में जारी तेजी और जियो पॉलिटिकल टेंशन के कारण रुपये की हालत लगातार पतली हो रही है। बुधवार के कारोबार में रुपये ने डॉलर के मुकाबले कमजोर शुरुआत की और गिरकर 19 महीनों का निचले स्तर के साथ 68.54 पर आ गया। 29 नवंबर 2016 के बाद रुपये में यह सबसे बड़ी गिरावट है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने बीते दिन 538.40 करोड़ रुपये के शेयर्स बेचे हैं। ऐसे में विदेशी निवेशक भारत से अपना डॉलर निकालकर अमेरिका जैसे देशों में निवेश कर रहे हैं क्योंकि वो मानते हैं कि उनका निवेश अमेरिका में तेजी से बढ़ सकता है। वहीं कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से तेल आयात भी महंगा होने की संभावना है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि हर महीने के आखिर में ओएमसी (ऑयल मार्केटिंग कंपनियां) जैसे एचपीसीएल, आईओसी, बीपीसीएल की ओर से डॉलर की मांग तेज हो जाती है, जिससे भी भारतीय रुपये में कमजोरी देखने को मिलती है।
क्या है गिरते रुपये के कारण-
रुपये के कमजोर से आम आदमी को होते हैं ये 4 नुकसान
महंगा होगा विदेश घूमना: रुपये के कमजोर होने से अब विदेश की यात्रा आपको थोड़ी महंगी पड़ेगी क्योंकि आपको डॉलर का भुगतान करने के लिए ज्यादा भारतीय रुपये खर्च करने होंगे। फर्ज कीजिए अगर आप न्यूयॉर्क की हवाई सैर के लिए 3000 डॉलर की टिकट भारत में खरीद रहे हैं तो अब आपको पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे।
विदेश में बच्चों की पढ़ाई होगी महंगी: अगर आपका बच्चा विदेश में पढ़ाई कर रहा है तो अब यह भी महंगा हो जाएगा। अब आपको पहले के मुकाबले थोड़े ज्यादा पैसे भेजने होंगे। यानी अगर डॉलर मजबूत है तो आपको ज्यादा रुपये भेजने होंगे। तो इस तरह से विदेश में पढ़ रहे बच्चों की पढ़ाई भारतीय अभिभावकों को परेशान कर सकती है।
क्रूड ऑयल होगा महंगा तो बढ़ेगी महंगाई: डॉलर के मजबूत होने से क्रूड ऑयल भी महंगा हो जाएगा। यानि जो देश कच्चे तेल का आयात करते हैं, उन्हें अब पहले के मुकाबले (डॉलर के मुकाबले) ज्यादा रुपये खर्च करने होंगे। भारत जैसे देश के लिहाज से देखा जाए तो अगर क्रूड आयल महंगा होगा तो सीधे तौर पर महंगाई बढ़ने की संभावना बढ़ेगी।
डॉलर में होने वाले सभी पेमेंट महंगे हो जाएंगे: वहीं अगर डॉलर कमजोर होता है तो डॉलर के मुकाबले भारत जिन भी मदों में पेमेंट करता है वह भी महंगा हो जाएगा। यानी उपभोक्ताओं के लिहाज से भी यह राहत भरी खबर नहीं है।