रुपये की हालत और पतली

नई दिल्ली [जाब्यू]। डॉलर की कीमत 65 से पार होने के बाद सरकार को अपना नजरिया बदलना पड़ा है। बाजार में घबराहट बढ़ाने वाले उपायों से अब तौबा की जाएगी और रुपये को अपना स्तर खुद तलाशने दिया जाएगा। वित्त मंत्री ने आश्वस्त किया कि डॉलर के खर्च पर पाबंदी के नए कदम नहीं उठाए जाएंगे और वर्तमान कदमों को स्थिरता लौटते ही

By Edited By: Publish:Thu, 22 Aug 2013 10:37 PM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
रुपये की हालत और पतली

नई दिल्ली [जाब्यू]। डॉलर की कीमत 65 से पार होने के बाद सरकार को अपना नजरिया बदलना पड़ा है। बाजार में घबराहट बढ़ाने वाले उपायों से अब तौबा की जाएगी और रुपये को अपना स्तर खुद तलाशने दिया जाएगा। वित्त मंत्री ने आश्वस्त किया कि डॉलर के खर्च पर पाबंदी के नए कदम नहीं उठाए जाएंगे और वर्तमान कदमों को स्थिरता लौटते ही वापस ले लिया जाएगा। रिजर्व बैंक [आरबीआइ] ने भी कहा कि बहुत जरूरी होने पर ही बाजार में हस्तक्षेप होगा। माना जा रहा है कि आरबीआइ व सरकार के ताबड़तोड़ कदमों से बाजार में ज्यादा घबराहट फैली है।

सरकार और रिजर्व बैंक के इस बदली रणनीति पर बाजार को कितना भरोसा होगा यह शुक्रवार को पता चलेगा। अलबत्ता गुरुवार छठा दिन था, जब रुपया लगातार कमजोर हुआ है। घरेलू मुद्रा 65 रुपये प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार करते हुए 65.56 के नए न्यूनतम स्तर को छू गई। हालांकि, बाद में यह कुछ संभलकर 64.56 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुई। शेयर बाजार बुरी तरह गिर चुके थे। इसलिए आइटीसी, रिलायंस, ओएनजीसी, टीसीएस जैसी दिग्गज कंपनियों में खरीद लौटी। अलबत्ता यह डेड-कैट बाउंस की स्थिति है, जहां मंदी के बाद अचानक किसी दिन तेजी दिख जाती है। सेंसेक्स 407.03 अंकों की उछाल के साथ 18312.94 पर बंद हुआ।

कैपिटल कंट्रोल नहीं :

रुपये की ताजा गिरावट के बाद अब वित्त मंत्रालय व रिजर्व बैंक ने रणनीति बदली और घबराहट थामने की कोशिश पर ध्यान केंद्रित किया। रिजर्व बैंक और वित्त मंत्री के बीच बैठक के बाद सरकार ने संकेत दिया कि अब छोटे-छोटे कदम उठाकर रुपये को थामने की कोशिश नहीं होगी। चिदंबरम ने रुपये पर पिछले पांच दिनों की अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा, मुद्रा बाजार में बेवजह ही अफरा-तरफी है। कि पूंजी नियंत्रण पर लगाम लगाने की कोई कोशिश नहीं होगी। हाल ही में इस तरह के जो कदम उठाए गए हैं, उन्हें भी स्थिरता लौटते ही वापस ले लिया जाएगा।

बाजार में दखल नहीं :

आरबीआइ के गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा, देश की वित्तीय स्थिति बेहद मजबूत है और इस तरह के झंझावतों को आसानी से बर्दाश्त किया जा सकता है। लेकिन उन्होंने मुद्रा बाजार में स्थिरता स्थापित होने को सर्वाधिक वरीयता देते हुए कहा कि ये हालात वैश्विक परिस्थितियों की वजह से पैदा हुए हैं। रिजर्व बैंक अपनी तरफ से रुपये को किसी स्तर पर लाने की कोशिश नहीं कर रहा। उद्देश्य यह है कि रुपये को अपना स्तर खोजने दिया जाए, जबकि दूसरी तरफ देश में विदेशी निवेश को लाने और चालू खाते में घाटे की स्थिति को दुरुस्त करने की कोशिश जारी रखी जाए। रुपये की कीमत में बहुत अनावश्यक उतार-चढ़ाव पर ही अब हस्तक्षेप किया जाएगा।

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