RBI गवर्नर की कर्ज बांटने में तेजी की सलाह पर बैंक बोले, 'देने को तैयार लेकिन लेने वाले ही नहीं'

सबसे ज्यादा खराब स्थिति सर्विस सेक्टर की है जिसमें कर्ज की रफ्तार इस अवधि में 24 फीसद से घटकर नौ फीसद रह गई है।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Tue, 03 Mar 2020 08:48 AM (IST) Updated:Tue, 03 Mar 2020 08:50 AM (IST)
RBI गवर्नर की कर्ज बांटने में तेजी की सलाह पर बैंक बोले, 'देने को तैयार लेकिन लेने वाले ही नहीं'
RBI गवर्नर की कर्ज बांटने में तेजी की सलाह पर बैंक बोले, 'देने को तैयार लेकिन लेने वाले ही नहीं'

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने सरकारी क्षेत्र के बैंक प्रमुखों को देश में कर्ज के हालात में सुधार के लिए बुलाया था। लेकिन सोमवार को तकरीबन तीन घंटे तक मुंबई स्थित आरबीआइ मुख्यालय में चली बैठक का कोई नतीजा निकला हो, ऐसा नहीं लगता है। बैठक में दास ने बैंकों से कहा कि वे ब्रांच स्तर पर अपनी गतिविधियों को और तेज करें व ग्राहकों से मिल कर उन्हें कर्ज लेने के लिए प्रोत्साहित करें।

अधिकांश बैंकों ने आरबीआइ से कहा कि वे कर्ज देने को तैयार हैं लेकिन बाजार में कर्ज लेने वालों की कमी है। एक बैंक प्रमुख ने तो यहां तक अंदेशा जताया कि आने वाले महीनों में कर्ज की रफ्तार और घट सकती है।आरबीआइ ने पिछले शुक्रवार को जनवरी, 2020 के कर्ज वितरण के आंकड़े जारी किए थे। उस महीने कर्ज वितरण में 8.5 फीसद की वृद्धि हुई थी जबकि जनवरी, 2019 में यह वृद्धि 13.5 फीसद की थी।

सबसे ज्यादा खराब स्थिति सर्विस सेक्टर की है जिसमें कर्ज की रफ्तार इस अवधि में 24 फीसद से घटकर नौ फीसद रह गई है। इन आंकड़ों के जारी होने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई दिल्ली में आरबीआइ और बैंक प्रमुखों की अलग से बैठक की थी। सीतारमण ने बैंकों से कहा था कि उन्हें ब्रांच स्तर की बैंकिंग फिर से शुरू करने की जरूरत है ताकि ग्राहकों के साथ व्यक्तिगत संपर्क हो और वो कर्ज लेने के लिए आगे आएं।

आरबीआइ गवर्नर ने एक तरह से यही संदेश को बैंक प्रमुखों को दिया। लेकिन बैंकों के रवैये से साफ है कि असल समस्या उनकी तरफ से नहीं है, बल्कि बाजार में कर्ज लेने वाले ही नहीं है।इस बैठक में भाग लेने वाले एक अधिकारी ने कहा कि असली समस्या मांग की है। बाजार में मांग नहीं है और उद्योग जगत को ऐसा लग रहा है कि अभी मांग बढ़ने वाली नहीं है। ऐसे में उद्योग जगत नया कर्ज लेने के लिए आगे नहीं आ रहा है।

अभी स्थिति यह है कि समूचे बैंकिंग सिस्टम में अतिरिक्त पूंजी पड़ी हुई है जिसका वह कर्ज देने के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं लेकिन मांग नहीं होने की वजह से ऐसा नहीं हो रहा है। एक बैंक प्रमुख ने बैठक में साफतौर पर कहा कि कर्ज वितरण की रफ्तार आने वाले दिनों में और कम हो सकती है।

chat bot
आपका साथी