बैंकों के स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका पर सवाल

यूबी समूह प्रमुख विजय माल्या समेत जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वाले डिफॉल्टरों के मामले में सरकारी बैंकों के बोर्ड में मौजूद स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं।

By Sachin BajpaiEdited By: Publish:Thu, 17 Mar 2016 08:16 AM (IST) Updated:Thu, 17 Mar 2016 08:38 AM (IST)
बैंकों के स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका पर सवाल

नई दिल्ली, [नितिन प्रधान]। यूबी समूह प्रमुख विजय माल्या समेत जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वाले डिफॉल्टरों के मामले में सरकारी बैंकों के बोर्ड में मौजूद स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। बैंकों के कर्ज एनपीए में बदलने और उद्योगों के कर्जों की पुनर्सरचना के वक्त बोर्ड की बैठकों में इन निदेशकों की भूमिका भी जांच के घेरे में आ सकती है।

घबराए दूसरे कर्जदारों ने दी बैंकों को दस्तक

बैंकों को नौ हजार करोड़ रुपये की चपत लगाने के बाद विदेश चले गए माल्या से कर्ज वसूली की कोशिशों के साथ-साथ सरकार यह सुनिश्चित करने के प्रयास भी कर रही है कि भविष्य में ऐसे मामले दोबारा न हों। इस संबंध में वित्त मंत्रालय मानता है कि बैंकों के बोर्ड की भूमिका खासतौर पर स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। सूत्र बताते हैं कि इस संबंध में वित्त मंत्रालय 2004 से लेकर 2014 के दौरान एसबीआइ, आइडीबीआइ, युनाइटेड बैंक आफ इंडिया समेत उन सभी सरकारी बैंकों में स्वतंत्र निदेशकों के संबंध में जानकारी एकत्र कर रहा है, जिनका कर्ज डूब गया है।

वित्त मंत्रालय जांच में लेगा मदद

वित्त मंत्रालय इस काम में बाजार नियामक सेबी और कॉरपोरेट मंत्रालय की मदद लेने पर भी विचार कर रहा है। स्वतंत्र निदेशकों के अलावा बैंकों के वित्तीय खातों का ऑडिट करने वाले ऑडिटर भी सरकार के रडार पर हैं। इस प्रक्रिया का मकसद यह देखना है कि बीते आठ-नौ वर्षो में ऑडिटरों ने बैंकों के कर्जो को लेकर कभी चेतावनी क्यों नहीं दी।

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एनपीए 2009 के बाद बढ़ा

बैंकों का कर्ज का एनपीए में बदलने का सिलसिला साल 2009 के बाद तेजी से बढ़ा है। इनमें भी बड़े समूहों की हिस्सेदारी सर्वाधिक रही है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसी क्रेडिट सुइस ने साल 2012 में अपनी एक रिपोर्ट में कहा भी था कि देश के 10 समूहों पर साढ़े पांच लाख करोड़ रुपये का कर्ज है जो सभी बैंकों की नेटवर्थ का 98 फीसद है। रिपोर्ट के मुताबिक इस कर्ज के एक बड़े हिस्से को रिस्ट्रक्चर किया गया। राज्यसभा में निर्दलीय सांसद राजीव चंद्रशेखर कहते हैं कि उस वक्त इतने बड़े जोखिम के बारे में स्वतंत्र निदेशकों अथवा बैंक के ऑडिटरों ने कोई सवाल क्यों नहीं खड़ा किया? इस संबंध में चंद्रशेखर साल 2014 में वित्त मंत्री अरुण जेटली को एक पत्र भी लिख चुके हैं।

वित्त मंत्रालय को मिलीभगत की जानकारी पहले से

वित्त मंत्रालय के पास 2013 से सितंबर 2015 के दौरान जानबूझकर कर्ज न लौटाने के मामलों में अधिकारियों की मिलीभगत की काफी कुछ जानकारी पहले से ही उपलब्ध है। बैंकों के करीब 115 अधिकारियों की सूची सरकार के पास उपलब्ध है जिनकी किसी न किसी रूप में विलफुल डिफॉल्टरों के साथ भागीदारी की जानकारी मिली है। इनमें सर्वाधिक 24 अधिकारी यूनियन बैंक आफ इंडिया के हैं। इसके अतिरिक्त 21 अधिकारी बैंक आफ महाराष्ट्र के हैं। पंजाब एंड सिंध बैंक के 14 और ओरियंटल बैंक आफ कामर्स के 12 अधिकारियों की मिलीभगत की सूचना वित्त मंत्रालय के पास है।

मुंबई में किंगफिशर हाउस की नीलामी आज

नई दिल्ली, एजेंसी: भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाला बैंकों का कंसोर्टियम गुरुवार को मुंबई में जोगेश्वरी स्थित ंिकंगफिशर हाउस की नीलामी कर सकता है। इस कंसोर्टियम ने ही विजय माल्या को एयरलाइन शुरू करने के लिए कर्ज दिया था। माल्या की स्वामित्व वाले किंगफिशर हाउस पर कंसोर्टियम ने फरवरी 2015 में कर्ज वसूली के लिए कब्जा कर लिया था। यह इमारत किंगफिशर एयरलाइन का मुख्यालय होता था। इसकी कीमत 150 करोड़ रुपये आंकी गई है। इसकी नीलामी ई-ऑक्शन के जरिये गुरुवार को होगी। कंसोर्टियम ने गोवा में किंगफिशर विला को भी अधिग्रहीत किया था।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) विदेशों में अधिकारियों को पत्र लिख रहा है ताकि भारत से बार माल्या के स्वामित्व वाली प्रॉपर्टी की जानकारी मिल सके।

केएफए व यूबी ग्रुप के अधिकारियों से पूछताछ

सीबीआइ ने किंगफिशर एयरलाइंस और यूबी ग्रुप के दो शीर्ष अधिकारियों से गुरुवार को दूसरे दिन भी पूछताछ की। एयरलाइन के चीफ फाइनेंशियल ऑफीसर ए. रघुनाथन और यूबी ग्रुप के पूर्व सीएफओ रवि नेदुनगडी से सीबीआई ने मुंबई कार्यालय में कथित रूप से फंड डायवर्ट करने के बारे में पूछताछ की।

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