संसद की प्रवर समिति ने बीमा विधेयक को दी मंजूरी

बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सभा की प्रवर समिति ने बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की समग्र सीमा 49 फीसद रखने की सिफारिश की है। इसका मतलब है कि बीमा क्षेत्र में अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआइ और विदेशी

By Kamal VermaEdited By: Publish:Mon, 08 Dec 2014 08:42 PM (IST) Updated:Tue, 09 Dec 2014 12:14 AM (IST)
संसद की प्रवर समिति ने बीमा विधेयक को दी मंजूरी

नई दिल्ली। बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सभा की प्रवर समिति ने बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की समग्र सीमा 49 फीसद रखने की सिफारिश की है। इसका मतलब है कि बीमा क्षेत्र में अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआइ और विदेशी संस्थागत निवेश (एफआइआइ) मिलाकर कुल 49 फीसद विदेशी निवेश आ सकेगा। बीमा विधेयक को सोमवार को प्रवर समिति की हरी झंडी मिल गई।

इस बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उम्मीद जताई है कि बीमा संशोधन विधेयक संसद से पारित होने के बाद देश में बीमा बाजार का विस्तार होगा। वित्त मंत्री ने प्रवर समिति द्वारा रिपोर्ट को मंजूरी दिए जाने पर संतोष का भाव प्रकट किया। वित्त मंत्री ने ब्रिटेन के एक प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के दौरान यह बात कही।

भाजपा के चंदन मित्रा की अध्यक्षता वाली राज्य सभा की प्रवर समिति ने इस दिन बीमा कानून (संशोधन) विधेयक 2008 पर अपनी रिपोर्ट को मंजूरी दे दी। उम्मीद है कि समिति बुधवार को अपनी रिपोर्ट सदन में पेश कर देगी। इसके बाद सरकार इस बीमा संशोधन अधिनियम में रिपोर्ट के मुताबिक बदलाव कर संसद में मंजूरी के लिए पेश करेगी।

सूत्रों के मुताबिक, समिति ने दो मुख्य सिफारिशें की हैं। पहली यह कि समिति ने बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसद तय की है। इसका मतलब है कि बीमा क्षेत्र में सभी प्रकार का विदेशी निवेश इस सीमा से अधिक नहीं होगा। दूसरी सिफारिश स्वामित्व और नियंत्रण का उल्लेख कानून में ही करने के संबंध में है। समिति की इस सिफारिश का महत्व इसलिए है कि एक बार इसका प्रावधान कानून में होने के बाद सरकार महज आधिकारिक आदेश जारी कर इसे बदल नहीं सकती।

सूत्रों का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस, सपा और जदयू के सदस्य इस रिपोर्ट पर अपनी असहमति जता सकते हैं। हालांकि बसपा इस मुद्दे पर तटस्थ रह सकती है। उल्लेखनीय है कि बीमा कानून संशोधन विधेयक राजनीतिक विरोध के चलते काफी समय से लंबित पड़ा है। बीमा विधेयक पारित होने से घरेलू और विदेशी निवेशकों में सकारात्मक संदेश जाएगा।

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