असामान्य मानसून का असर, धान के साथ दलहनी व तिलहनी फसलों का रकबा घटा

धान का रकबा 2021 के खरीफ सीजन के 418 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 19 लाख हेक्टेयर कम है।चालू सीजन में पिछले वर्ष जहां 174 लाख हेक्टेयर भूमि पर मोटे अनाज की खेती हुई थी वह इस बार बढ़कर 181 लाख हेक्टेयर से भी अधिक हो चुका है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Publish:Fri, 16 Sep 2022 07:27 PM (IST) Updated:Fri, 16 Sep 2022 07:30 PM (IST)
असामान्य मानसून का असर, धान के साथ दलहनी व तिलहनी फसलों का रकबा घटा
area of pulses and oilseed crops decreased along with paddy

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मानसून सीजन के अंतिम चरण में हो रही बरसात के बीच खरीफ फसलों की बोआई अंतिम दौर में पहुंच गई है। सूखा प्रभावित राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में अल्प अवधि वाले मोटे अनाज वर्ग की फसलों की बोआई छिटपुट जरूर हो रही है। इनका बोआई रकबा भी पिछले साल से अधिक दर्ज किया गया है।

ज्यादातर राज्यों में खरीफ की प्रमुख फसल धान, दलहनी और तिलहनी फसलों का बोआई पूरी हो चुकी है। इन फसलों की खेती का रकबा सामान्य से कम दर्ज किया गया है, जिसमें सुधार की उम्मीदें अब नहीं के बराबर है। कृषि मंत्रालय के जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 16 सितंबर तक धान की रोपाई का कुल रकबा 399 लाख हेक्टेयर पहुंच चुका है। लेकिन यह पिछले वर्ष 2021 के खरीफ सीजन के 418 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 19 लाख हेक्टेयर कम है।

कहां-कितनी कम हुई बोआई

राज्यों से मिल रही जानकारी के मुताबिक इसमें अब सुधार की उम्मीद नहीं है। पूर्वी राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में धान की मानसून की बरसात सामान्य कम हुई है। नतीजतन, इन राज्यों में धान का रकबा पिछले साल के मुकाबले घट गया है। बिहार में धान की खेती का लगभग दो लाख हेक्टेयर रकबा कम हुआ है, जबकि झारखंड में साढ़े नौ लाख हेक्टेयर घटा है। इसी तरह उत्तर प्रदेश में जहां ढाई लाख हेक्टेयर रकबा कम हुआ वहीं पश्चिम बंगाल में यह पौने चार लाख हेक्टेयर पिछड़ गया है।

दलहनी फसलों पर भी हुआ असर

जिन राज्यों में दलहनी फसलों की खेती होती थी, वहां इस बार मानसून की बरसात सामान्य से बहुत ज्यादा हुई है। लिहाजा दलहनी फसलों का रकबा जहां वर्ष 2021 के खरीफ सीजन में 137 लाख हेक्टेयर था, वह चालू सीजन में खटकर 131 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया है। जबकि दलहनी फसलों की खेती का सामान्य रकबा 140 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा होता है। इसी तरह तिलहनी फसलों की खेती भी प्रभावित हुई है। पिछले साल इन फसलों का रकबा 192 लाख हेक्टेयर था वह इस बार 190 लाख हेक्टेयर पर ठिठक गया है।

मोटे आनाज वाली फसलों का रकबा बढ़ा

चालू खरीफ सीजन में मोटे अनाज वाली फसलों का रकबा बढ़ा है। सूखा अथवा बाढ़ की दशा में अल्प अवधि वाली मोटे अनाज वाली फसलों की खेती में वृद्धि हो जाती है। चालू खरीफ सीजन में सभी फसलों का बोआई रकबा 1093 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि पिछले साल इस अवधि तक कुल रकबा 1102 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है।

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