वकील और लॉ फर्म क्लाइंट से ली गई फीस पर GST का भुगतान करेंगे, कारपोरेट के ठेका कर्मचारी भी आएंगे दायरे में

कारपोरेट और निजी कंपनियों के ठेका कर्मचारी और फीस लेकर काम करने वाले भी जीएसटी के दायरे में आएंगे

By Surbhi JainEdited By: Publish:Thu, 20 Jul 2017 11:59 AM (IST) Updated:Thu, 20 Jul 2017 11:59 AM (IST)
वकील और लॉ फर्म क्लाइंट से ली गई फीस पर GST का भुगतान करेंगे, कारपोरेट के ठेका कर्मचारी भी आएंगे दायरे में
वकील और लॉ फर्म क्लाइंट से ली गई फीस पर GST का भुगतान करेंगे, कारपोरेट के ठेका कर्मचारी भी आएंगे दायरे में

नई दिल्ली (जेएनएन)। विधिक सेवाओं पर वकीलों से वसूले जाने वाले जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को लेकर केंद्र द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय से कई सवाल पूछे हैं। विज्ञप्ति में बताया गया है कि रिवर्स चार्ज के तहत जीएसटी का भुगतान करेंगे।

न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की खंडपीठ ने 12 जुलाई को याचिका पर वित्त मंत्रलय से जवाब मांगा था। जिसके बाद ही यह प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा, बताया गया है कि वकीलों के मामले में रिवर्स चार्ज का मतलब है कि सेवा लेने वाला शख्स जीएसटी का भुगतान करेगा। यहां सेवाएं वकीलों के क्लाइंट ले रहे हैं तो क्या वह ही जीएसटी का भुगतान करेंगे? हाई कोर्ट ने पूछा कि क्या 19 मई को हुई जीएसटी काउंसिल की 14वीं बैठक में विधिक सेवाओं को लेकर कोई सिफारिश दी गई थी। क्या सिफारिशों को सकरुलर, प्रेस विज्ञप्ति व नोटिफिकेशन के माध्यम से और स्पष्ट किया जा सकता है और अगर किया जा सकता है तो यह काम कौन करेगा?

जीएसटी के दायरे में आए कारपोरेट के ठेका कर्मचारी
कारपोरेट और निजी कंपनियों के ठेका कर्मचारी और फीस लेकर काम करने वाले भी जीएसटी के दायरे में आएंगे। इसका अर्थ यह है कि ऐसे कामगारों को 20 लाख रुपये से कम भुगतान होने पर भी कंपनी को उस राशि पर रिवर्स कर चुकता करना होगा। इससे पहले यह सेवा कर के दायरे में नहीं आता था।

केंद्र की ओर से 28 जून को और राज्य सरकार द्वारा 30 जून को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि ऐसे भुगतान पर 18 फीसद कर देना होगा। इससे सबसे ज्यादा मनोरंजन उद्योग प्रभावित होगा। इस उद्योग में ज्यादातर काम ठेके पर ही होता है। स्कूल और शिक्षण संस्थाओं के शैक्षणिक कर्मचारियों को जीएसटी से बाहर रखा गया है, लेकिन कोचिंग क्लास के शिक्षक इसके दायरे में आते हैं।

अंधेरी में रहने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट और जीएसटी कंसल्टेंट मनीष गाडिया ने कहा कि फीस पर काम करने वाले सहित सभी ठेका कर्मचारियों को 30 जुलाई तक अपना जीएसटी नंबर हासिल कर लेना है। विफल रहने पर विभाग इसके लिए जुर्माना लगा सकता है। यदि वे प्रतिवर्ष 20 लाख रुपये या इससे अधिक कमा रहे हैं तो उनके लिए जीएसटी नंबर लेना अनिवार्य है।

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