SBI की इस स्कीम में एक बार पैसे करें जमा, पेंशन की तरह मिलते रहेंगे पैसे

एन्युटी में एक साथ निवेश पर एक नियमित समय के लिए मंथली इनकम प्राप्त होती है। एन्युटी पेमेंट में ग्राहक की तरफ से जमा पर ब्याज लगकर एक तय समय बाद इनकम मिलनी चालू होती है।

By Sajan ChauhanEdited By: Publish:Sat, 06 Jul 2019 03:59 PM (IST) Updated:Sun, 07 Jul 2019 09:39 AM (IST)
SBI की इस स्कीम में एक बार पैसे करें जमा, पेंशन की तरह मिलते रहेंगे पैसे
SBI की इस स्कीम में एक बार पैसे करें जमा, पेंशन की तरह मिलते रहेंगे पैसे

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारतीय स्टेट बैंक कई प्रकार की सेविंग स्कीम की पेशकश करता है, जिसमें एन्युटी में एक साथ निवेश पर एक नियमित समय के लिए मंथली इनकम प्राप्त होती है। एन्युटी पेमेंट में ग्राहक की तरफ से जमा पर ब्याज लगकर एक तय समय बाद इनकम मिलनी चालू होती है।

इस स्कीम में न्यूनतम 1000 रुपये मंथली एन्युटी के लिए निवेश किया जा सकता है जो कि 25 हजार रुपये है, वहीं अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। एन्युटी डिपॉजिट 36/60/84 या 120 महीने की अवधि के लिए किया जा सकता है। इन डिपॉजिट पर ब्याज दर जमाकर्ता द्वारा चुने गए कार्यकाल के टर्म डिपॉजिट पर लागू होने वाली होगी। मान लीजिए अगर आप 5 साल के लिए एन्युटी डिपॉजिट करना चाहते हैं तो जमाकर्ता को 5 साल की एफडी पर लागू ब्याज दर दी जाएगी।

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जमाकर्ता की मृत्यु की स्थिति में समय से पहले ही निकासी की अनुमति मिलती है। इसी के साथ एन्युटी में जमा राशि 75 फीसद तक लोन भी लिया जा सकता है। अगर आप लोन का ऑप्शन चुनते हैं तो भविष्य की एन्युटी की पेमेंट लोन अकाउंट में तब तक जमा होगी जब तक कि पूरा लोन अमाउंट वापस नहीं मिल जाता है।

अगर आप 5 साल के लिए 10,000 रुपये की मंथली एन्युटी चाहते हैं तो 7 फीसद की ब्याज दर के अनुसार आपको एन्युटी डिपॉजिट में 507,965.93 रुपये जमा करने होंगे।

एन्युटी RD से कैसे अलग है: एन्युटी डिपॉजिट आरडी का उल्टा है। आरडी में जमाकर्ता हर महीने एक निश्चित राशि जमा करता है और मैच्योरिटी पर एक निश्चित राशि मिलती है। लेकिन एन्युटी डिपॉजिट के मामले में ठीक उल्टा होता है। यहां जमाकर्ता एक साथ अमाउंट जमा करता है और पूरे कार्यकाल के लिए हर महीने एक तय अमाउंट मिलता है।

एन्युटी FD से कैसे अलग है: एफडी के मामले में जमाकर्ता एक विशेष कार्यकाल के लिए एक साथ अमाउंट जमा करता है जैसे कि 1 साल, 2 साल, 5 साल या 7 साल आदि। मैच्योरिटी पर पर ब्याज समेत वह राशि एक साथ वापस मिलती है। 

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