चीन को चावल का निर्यात करेगा भारत, एक लाख टन के आर्डर

चीन भारत से व्यापारिक रिश्ते को फिर से सामान्य बनाने के लिए प्रयासरत दिख रहा है। इस दिशा में चीन ने भारत के गैर बासमती चावल निर्यातकों को एक लाख टन चावल सप्लाई करने का आर्डर दिया है।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 07:24 PM (IST) Updated:Thu, 03 Dec 2020 07:50 AM (IST)
चीन को चावल का निर्यात करेगा भारत, एक लाख टन के आर्डर
चावल निर्यात में चालू वित्त वर्ष में 40.68 फीसद की बढ़ोतरी देखने को मिली है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चीन भारत से व्यापारिक रिश्ते को फिर से सामान्य बनाने के लिए प्रयासरत दिख रहा है। इस दिशा में चीन ने भारत के गैर बासमती चावल निर्यातकों को एक लाख टन चावल सप्लाई करने का आर्डर दिया है। राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के मुताबिक भारत के चावल निर्यातक फरवरी तक चीन को चावल की सप्लाई कर सकते हैं। दिसंबर आखिर तक चीन को चावल का निर्यात शुरू होने की उम्मीद है। 300 डॉलर प्रतिटन की कीमत पर भारत के निर्यातक चीन को चावल का निर्यात करेंगे।

चावल निर्यातकों के मुताबिक चीन चावल का सबसे बड़ा आयातक देश हैं और भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश हैं, लेकिन चीन ने कभी भारत से चावल खरीदारी करने की इच्छा नहीं जताई और न ही चीन के तरफ से कोई आर्डर दिया गया। दशकों बाद भारत को चीन से चावल निर्यात के आर्डर मिले हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि चावल निर्यात करने वाले अन्य देशों के मुकाबले भारत ने चीन के सामने प्रतिटन 30 डॉलर कम कीमत पर चावल देने की पेशकश की।

चावल निर्यात के चीन से मिलने वाले नए आर्डर के बाद भारत के चावल निर्यात में और बढ़ोतरी होगी। इस साल अप्रैल-अक्टूबर में भारत के चावल निर्यात में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 40.68 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। इस साल अक्टूबर में भारत के चावल निर्यात में पिछले साल अक्टूबर के मुकाबले 113.62 फीसद का इजाफा रहा।

राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के मुताबिक एक लाख टन चावल की आपूíत के बाद आगे भी चीन से आर्डर मिलना जारी रह सकता है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल-अक्टूबर में भारत ने 474.74 करोड़ डॉलर का निर्यात किया जबकि पिछले साल इस अवधि में 337.46 करोड़ डॉलर का निर्यात किया गया था। इस साल अक्टूबर में 68.5 करोड़ डॉलर का चावल निर्यात किया गया जबकि पिछले साल अक्टूबर में यह निर्यात 32.08 करोड़ डॉलर का था। मुख्य रूप से गैर बासमती चावल के निर्यात में तेजी चल रही है। 

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