एचएसएन कोड की बाध्यता से कारोबारी चिंतित, जीएसटी रिटर्न के लिए पहली अप्रैल से यह कोड हो रहा अनिवार्य

HSN Code जीएसटी विशेषज्ञों के मुताबिक वर्तमान में सालाना 1.5 करोड़ तक का कारोबार करने वाले कारोबारियों को एचएसएन कोड से मुक्त रखा गया है। 1.5 करोड़ से पांच करोड़ रुपये तक का सालाना कारोबार करने वालों को दो डिजिट वाले एचएसएन कोड का इस्तेमाल करना होता है।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Sat, 13 Mar 2021 08:18 AM (IST) Updated:Sun, 14 Mar 2021 07:22 AM (IST)
एचएसएन कोड की बाध्यता से कारोबारी चिंतित, जीएसटी रिटर्न के लिए पहली अप्रैल से यह कोड हो रहा अनिवार्य
( GST ) P C : File Photo

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आगामी पहली अप्रैल से सभी कारोबारियों के लिए जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के लिए हार्मोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नोमेनक्लेचर (एचएसएन) कोड का उल्लेख करना अनिवार्य कर दिया गया है। छोटे कारोबारियों का कहना है कि इससे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि एचएसएन कोड में जरा भी गलती होने पर उन्हें 50,000 रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। आगामी पहली अप्रैल से कारोबारियों को सभी टैक्स इनवॉयस और जीएसटीआर-1 दाखिल करने के दौरान एचएसएन कोड का उल्लेख करना पड़ेगा।

जीएसटी विशेषज्ञों के मुताबिक वर्तमान में सालाना 1.5 करोड़ तक का कारोबार करने वाले कारोबारियों को एचएसएन कोड से मुक्त रखा गया है। 1.5 करोड़ से पांच करोड़ रुपये तक का सालाना कारोबार करने वालों को दो डिजिट वाले एचएसएन कोड का इस्तेमाल करना होता है। वहीं पांच करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले कारोबारियों को चार डिजिट का एचएसएन कोड देना पड़ता है।

आगामी पहली अप्रैल से सालाना पांच करोड़ तक के कारोबार करने वाले सभी कारोबारियों को चार डिजिट और पांच करोड़ से अधिक टर्नओवर वालों को छह डिजिट के एचएसएन कोड का उल्लेख करना होगा। निर्यातकों के लिए आठ डिजिट के एचएसएन कोड होंगे। सालाना पांच करोड़ तक के टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए बिजनेस-टु-बिजनेस (बीटुबी) में एचएसएन कोड अनिवार्य होगा, जबकि बिजनेस-टु-कंज्यूमर (बीटुसी) में यह वैकल्पिक होगा। लेकिन पांच करोड़ से अधिक के कारोबार वालों के लिए सभी प्रकार के बिजनेस में यह अनिवार्य होगा।

जीएसटी विशेषज्ञ एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट राजिंदर अरोड़ा ने बताया कि कस्टम टैरिफ एक्ट (सीमा शुल्क कानून) से एचएसएन कोड निकलता है और यह वस्तुओं के वर्गीकरण के हिसाब से निर्धारित होता है। वस्तुओं के वर्गीकरण से ही टैक्स की दरें तय होती है। अरोड़ा ने बताया कि कारोबारी एचएसएन कोड में गलती करता है तो उसकी टैक्स की दर अलग हो जाएगी। बाद में पकड़े जाने पर कारोबारी पर जीएसटी एक्ट के सेक्शन 125 के तहत 50,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

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