अरविंद सुब्रमण्यन के लेख पर आई सरकार की प्रतिक्रिया, कहा प्रमाणिक हैं जी़डीपी के आंकड़े

सरकार ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि जीडीपी विकास के आंकड़े पूरी तरह प्रमाणिक हैं। सरकार ने कहा कि जी़डीपी की गणना वैज्ञानिक और सांख्यिकी मानकों पर आधारित है।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Wed, 12 Jun 2019 09:32 AM (IST) Updated:Wed, 12 Jun 2019 09:32 AM (IST)
अरविंद सुब्रमण्यन के लेख पर आई सरकार की प्रतिक्रिया, कहा प्रमाणिक हैं जी़डीपी के आंकड़े
अरविंद सुब्रमण्यन के लेख पर आई सरकार की प्रतिक्रिया, कहा प्रमाणिक हैं जी़डीपी के आंकड़े

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने मंगलवार को दावा किया था कि आर्थिक विकास दर को वास्तविकता से अधिक आंका गया है। इसके बाद अब सरकार ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि जीडीपी विकास के आंकड़े पूरी तरह प्रमाणिक हैं। सरकार ने कहा कि जी़डीपी की गणना वैज्ञानिक और सांख्यिकी मानकों पर आधारित है।

सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने जीडीपी के जो अनुमान जारी किए हैं वे स्वीकृत प्रक्रिया व विधि और उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित हैं और वे अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों के योगदान को निरपेक्षता के साथ मापते हैं। विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भी जीडीपी वृद्धि के बारे में जो अनुमान व्यक्त किए हैं, वे भी सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुमानों के आस-पास हैं। मंत्रालय ने समय-समय पर जीडीपी की गणना की जटिलताओं को समझाते हुए ब्यौरा जारी किया है। किसी भी अर्थव्यवस्था में जीडीपी का अनुमान एक जटिल प्रक्रिया होती है। बता दें कि दुनियाभर के देश संयुक्त राष्ट्र के सिस्टम ऑफ नेशनल अकाउंट को फॉलो करते हैं और भारत ने भी नेशनल अकाउंट्स के लिए इसे स्वीकार किया हुआ है। भारत में नेशनल अकाउंट्स डिवीजन जीडीपी के आंकड़े जुटाता है। इसे विधि व प्रक्रियाओं के प्रबंधन के लिए आइएसओ:9001:2015 प्रमाणपत्र प्राप्त है।

वास्तविकता से अधिक आंके गए हैं जीडीपी आंकड़े : सुब्रमण्यन

नरेंद्र मोदी की सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने अपनी एक नई रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि भारत शायद 2011-12 से 2016-17 के बीच दुनिया की सर्वाधिक तेज विकास दर वाली अर्थव्यवस्था नहीं था। जीडीपी विकास दर के आंकड़े वास्तविकता से अधिक आंके गए हैं। इस अवधि में देश की जीडीपी विकास दर करीब 4.5 फीसद रहनी चाहिए। जबकि आधिकारिक आंकड़ों में अनुमानित विकास दर करीब सात फीसद बताई गई है। सुब्रमण्यन का रिसर्च पेपर हार्वर्ड विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर इंटरनेशन डेवलपमेंट ने प्रकाशित किया है। उन्होंने कहा कि भारत ने 2011-12 से जीडीपी की गणना की पद्धति और आंकड़ों के स्रोत को बदला है। इस रिसर्च पेपर में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि पद्धति और स्रोत में बदलाव के कारण आंकड़े अधिक आंक लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि मैन्यूफैक्चरिंग ऐसा ही एक क्षेत्र हैं, जिसमें गणना में मोटे तौर पर गलती हुई है।

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