Covid का Economy पर रहेगा लंबे समय तक असर, Vaccine की रफ्तार पर निर्भर करेगी GDP Growth: RBI

चालू वित्त वर्ष (2021-22) में आर्थिक विकास दर क्या रहेगी इसको लेकर केंद्रीय बैंक ने बहुत साफ तौर पर अभी कुछ नहीं कहा है। बैंक के अनुसार बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पाने में कितना वक्त लगता है।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Fri, 28 May 2021 10:58 AM (IST) Updated:Fri, 28 May 2021 10:58 AM (IST)
Covid का Economy पर रहेगा लंबे समय तक असर, Vaccine की रफ्तार पर निर्भर करेगी GDP Growth: RBI
आरबीआइ के शब्दों में कहें तो कोरोना संकट ने कभी न भरने वाली दरार सी पैदा कर दी है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जब देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के आर्थिक दुष्परिणामों को लेकर कई स्तर पर चर्चा चल रही है, तब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने वित्त वर्ष 2020-21 में इकोनॉमी पर इसके चौतरफा असर का एक विस्तृत आकलन पेश किया है। इसमें कहा गया है कि कोरोना का असर दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत की इकोनॉमी, रोजगार व जीवन-यापन पर गहरा व लंबे समय तक दिखेगा। आरबीआइ के शब्दों में कहें तो कोरोना संकट ने कभी न भरने वाली दरार सी पैदा कर दी है। खासतौर पर मार्च-अप्रैल, 2021 में आई दूसरी लहर की वजह से देश की अर्थव्यवस्था के कोरोना से पहले वाली स्थिति में जाना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है। केंद्रीय बैंक का मानना है कि लंबे समय तक निजी उपभोग को ब़़ढाकर और निवेश की स्थिति सुधारकर ही आर्थिक विकास दर को तेज किया जा सकेगा।

चालू वित्त वर्ष (2021-22) में आर्थिक विकास दर क्या रहेगी, इसको लेकर केंद्रीय बैंक ने बहुत साफ तौर पर अभी कुछ नहीं कहा है। बैंक के अनुसार बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पाने में कितना वक्त लगता है और उसके बाद कोरोना संकट कौन सा मोड़ लेता है। हालांकि, 10 मई के बाद से देश में कोरोना संक्रमण के नए मामले में गिरावट को बैंक ने सकारात्मक माना है। लेकिन केंद्रीय बैंक के रणनीतिकार यह भी मानते हैं कि कोरोना संकट के बारे में बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि सभी देशवासियों को कोरोना रोधी टीका लगाने में कितना वक्त लगता है।

मौजूदा हालात से ऐसा लगता है कि दूसरी लहर का असर अप्रैल-जून की तिमाही और उसके बाद जुलाई में भी रहेगा। क्योंकि कई राज्यों में लाकडाउन हैं, कल--कारखाने बंद हैं और लोगों के आने जाने पर प्रतिबंध है। इन सभी के सामान्य होने में वक्त लगेगा। इसके बावजूद आरबीआइ को यकीन है कि कोरोना की पहली लहर व राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से इकोनॉमी पर जितना असर पड़ा, उतना दूसरी लहर से नहीं पड़ेगा।

चालू साल के लिए आरबीआइ ने आर्थिक विकास दर का लक्ष्य 10.5 फीसद रखा हुआ है और दूसरी लहर इस लक्ष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है। कई रेटिंग एजेंसियों ने कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप को देखते हए चालू वित्त वर्ष के लिए देश का विकास दर अनुमान घटा दिया है।

इन परिस्थितियों के बीच आरबीआइ ने यह आश्वसन दिया है कि केंद्रीय बैंक के तौर पर वह विकास दर की रफ्तार को तेज करने और लोगों की जीवकोपार्जन की रक्षा करने के लिए हरसंभव मदद करता रहेगा। हालात को सुधारने के लिए आरबीआइ ने निजी खर्चे में वृद्धि और निवेश को बढ़ाने के दो उपाय बताए हैं।

केंद्रीय बैंक ने सरकार से कहा है कि उसे निवेश बढ़ाने के उपायों पर ज्यादा जोर देना चाहिए क्योंकि लंबी अवधि तक विकास दर को बेहतर करने का यही तरीका बेहतर है। लॉकडाउन के बाद घरेलू मांग बढ़ने से अर्थव्यवस्था को तेजी मिलती है लेकिन यह स्थायी नहीं होती। आरबीआइ का यह रख इस बात की तरफ इशारा है कि वह ब्याज दरों को अभी निचले स्तर पर रखने में वह सहयोगात्मक भूमिका निभाता रहेगा ताकि आसानी से सस्ते कर्ज सभी को मुहैया हो सके। यह कोरोना के बाद आर्थिक गतिविधियों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। आरबीआइ ने बैंकों को भी आगाह किया है कि जो हालात बन रहे हैं उससे एनपीए में वृद्धि हो सकती है। बैंकों को ज्यादा राशि की प्रोविजनिग करनी पड़ सकती है।

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