बजट में महिलाओं पर मेहरबान हुए एफएम, खोला योजनाओं का पिटारा

दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद महिलाओं में अपने हक और सुरक्षा को लेकर दिखे रोष का डर और हाल के चुनावों में उनकी बढ़ती भागीदारी का असर गुरुवार को वित्त मंत्री की ओर से पेश किए गए आम बजट पर भी दिखाई दिया।

By Edited By: Publish:Fri, 01 Mar 2013 09:06 AM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
बजट में महिलाओं पर मेहरबान हुए एफएम, खोला योजनाओं का पिटारा

नई दिल्ली,आशुतोष झा। दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद महिलाओं में अपने हक और सुरक्षा को लेकर दिखे रोष का डर और हाल के चुनावों में उनकी बढ़ती भागीदारी का असर गुरुवार को वित्त मंत्री की ओर से पेश किए गए आम बजट पर भी दिखाई दिया। संकेतों में ही सही केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने अपने बजट में महिलाओं को साधने की कोशिश की है। उन्होंने महिलाओं को सिर्फ प्रशासनिक सुरक्षा ही नहीं बल्कि आर्थिक सुरक्षा देने का वादा भी कर डाला। उन्होंने महिला बैंक, निर्भया फंड जैसी घोषणाओं के साथ इसी साल उसके क्रियान्वयन का भी वादा कर दिया है। अंजाम जो भी हो, फिलहाल तो भरोसे के लिए इतना ही काफी है कि शायद पहली बार सरकार ने युवाओं और गरीबों के साथ-,साथ महिलाओं को भी महत्वपूर्ण माना है। अब ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा की ये योजनाएं भी अन्य योजनाओं की तरह कागजों की शोभा ही बढ़ाती रहेगी।

आर्थिक लिहाज से बजट में महिलाओं के लिए महिला बैंक के अलावा कोई बड़ी पहल तो नहीं हुई। लेकिन संकेतों के जरिये जरूर सरकार उनकी संवेदना जीत सकती है। महिलाओं को लेकर चिदंबरम ने तीन वादे किए। उन्हें सुरक्षा देने के साथ उनकी गरिमा और मान सम्मान को बरकरार रखने का भरोसा भी दिया। सिंगल वुमन और विधवाओं के लिए 200 करोड़ रुपये का आवंटन भी किया गया है। वहीं, दिल्ली दुष्कर्म की घटना का हवाला देते हुए उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ी योजना के लिए 1000 करोड़ का निर्भया फंड बनाने का प्रस्ताव कर दिया है। महिला विकास के लिए 97 करोड़ रुपये का प्रावधान है। यही नहीं एससी एसटी की छात्राओं के कल्याण के लिए 700 करोड़ रुपये का प्रावधान है।

माना जा रहा है कि गैर सरकारी संगठन भी इस कवायद का हिस्सा होंगे। महिला व बाल विकास तथा दूसरे संबंधित मंत्रालय जल्द ही इसका खाका तैयार करेंगे। अपने बजट भाषण में आधा दर्जन से ज्यादा बार महिलाओं के प्रति सरकार के संकल्प को दोहराते हुए चिदंबरम ने विधवा, वृद्ध और अकेली महिलाओं के लिए भी योजना शुरू करने का आश्वासन दिया तो तेज तर्रार कामकाजी शहरी महिलाओं को महिला बैंक का तोहफा दे दिया।

गौरतलब है कि ऐसा महिला बैंक गुजरात में सेवा संगठन पहले से ही चला रहा है। लेकिन चिदंबरम का महिला बैंक सार्वजनिक क्षेत्र का होगा। इसके लिए शुरुआती पूंजी के रूप में 1000 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव किया गया है। अगले चार पांच महीनों में इस बैंक की शुरुआत हो सकती है।

जेंडर बजट में इस साल के लिए 97,134 करोड़ का आवंटन है। पिछले साल के मुकाबले यह बढ़ोत्तरी मात्र सांकेतिक है। पिछले साल जेंडर बजट के मद में लगभग 88 हजार करोड़ रुपये रखे गए थे। जाहिर है कि आर्थिक दृष्टि से बजट में महिलाओं के लिए कोई बड़ी शुरुआत नहीं दिखी है। लेकिन हां, सरकार यह भरोसा दिलाने की कोशिश जरूर करेगी कि महिलाएं उसकी प्राथमिकता में शामिल हैं।

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