GST के असर से और तेज होगी भारत की विकास दर: ADB

एडीबी का अनुमान है कि भारत की विकास दर चालू वित्त वर्ष 2017-18 में 7.4 फीसद और 2018-19 में 7.6 प्रतिशत रहेगी

By Surbhi JainEdited By: Publish:Thu, 04 May 2017 12:43 PM (IST) Updated:Thu, 04 May 2017 12:43 PM (IST)
GST के असर से और तेज होगी भारत की विकास दर: ADB
GST के असर से और तेज होगी भारत की विकास दर: ADB

नई दिल्ली (जेएनएन)। जीएसटी व बैंक्रप्सी जैसे कानूनों के लागू होने से भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार बेहतर रहेगी। भारत की विकास दर चालू वित्त वर्ष 2017-18 में 7.4 फीसद और 2018-19 में 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अपनी सालाना बैठक से पहले यह अनुमान जाहिर किया है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान इस देश की विकास दर 7.1 फीसद रही।

एशियाई विकास बैंक की यहां 4-7 मई को 50वीं सालाना बैठक हो रही है। इसमें सदस्य देशों के वित्त मंत्री व केंद्रीय बैंकों के गवर्नर हिस्सा लेंगे। बैठक से पहले एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री यासुयुकी सवादा ने मीडिया से कहा कि जीएसटी और नए बैंक्रप्सी कानून जैसे आर्थिक सुधारों से भारत में कारोबार करना आसान होगा। इससे विकास की गति तेज होगी। जीएसटी आजादी के बाद का सबसे बड़ा अप्रत्यक्ष कर सुधार करार दिया गया है।

नोटबंदी के सवाल पर सवादा ने कहा कि इसकी वजह से छोटी अवधि के लिए नकद लेनदेन में गिरावट आई और उपभोक्ता की धारणा कमजोर हुई। इसका असर कुछ ही समय तक रहा। अब भारतीय अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ने लगी है। अलबत्ता एडीबी ने नोटबंदी के काले धन पर असर का कोई अध्ययन नहीं किया है। डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती के बावजूद निर्यात के मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। जनवरी से अब तक रुपया डॉलर की तुलना में पांच फीसद मजबूत हो चुका है।

अमेरिका और यूरोप में संरक्षणवाद चिंताजनक
सवादा ने अमेरिका और यूरोप में बढ़ते संरक्षणवाद पर चिंता जताई है। हालांकि उन्होंने कहा कि एडीबी का रुख है कि अधिक मुक्त व्यापार और बेहतर निवेश माहौल सभी देशों व अर्थव्यवस्थाओं के लिए फायदेमंद होगा। इसलिए मुक्त या खुली व्यापार प्रणाली का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने चीन का उदाहरण सामने रखा। यह देश निर्यात केंद्रित आर्थिक मॉडल से और अधिक घरेलू मांग वाले मॉडल की ओर जा रहा है। एशिया में ऐसा रुझान दिख रहा है कि घरेलू खपत और निवेश बाहरी मांग की भूमिका से कहीं अधिक अहम हैं।

सवादा ने संरक्षणवाद पर नरम रवैये को नकारते हुए कहा कि एडीबी का जोर सभी देशों में अधिक खुले व्यापार व पूंजीगत सामान की मुक्त आवाजाही पर है। एडीबी को मुक्त व्यापार व निवेश प्रणाली में अहम भूमिका निभानी चाहिए। अमेरिका व यूरोप में नए संरक्षणवादी रुझानों का उभार चिंता की बात है। हालांकि, यह कहना सही नहीं होगा कि इससे ग्लोबल अर्थव्यवस्था टूटने जा रही है।

बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एडीबी की सालाना बैठक में भाग नहीं लेंगे। देश में व्यस्तता के चलते उन्होंने कार्यक्रम रद कर दिया है। वह गुरुवार से शुरू हो रही इस बैठक में हिस्सा लेने वाले थे। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। जेटली की जगह आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास बैठक में भाग लेने आ रहे हैं। वित्त मंत्री के एडीबी की बैठक में हिस्सा नहीं लेने के पीछे कोई वजह नहीं बताई गई है। हालांकि इसे भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव से जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि जेटली के पास रक्षा मंत्रलय का अतिरिक्त प्रभार भी है। जापानी निवेश आकर्षित करने की कोशिशों के तहत वह इस सप्ताहांत यहां आ सकते हैं।

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