धूप में होती है प्रार्थना पसीना से तर बतर होते हैं बच्चे

गर्मी बढ़ने लगी है। धूप तल्ख होने लगा है। ब'चे विद्यालयों में पहुंचते ही कॉपी और किताबों को पंखा बनाकर राहत लेने लगे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 21 Apr 2018 11:41 PM (IST) Updated:Sat, 21 Apr 2018 11:41 PM (IST)
धूप में होती है प्रार्थना पसीना से तर बतर होते हैं बच्चे
धूप में होती है प्रार्थना पसीना से तर बतर होते हैं बच्चे

बेतिया। गर्मी बढ़ने लगी है। धूप तल्ख होने लगा है। बच्चे विद्यालयों में पहुंचते ही कॉपी और किताबों को पंखा बनाकर राहत लेने लगे हैं। ऐसे में विद्यालयों का संचालन कब से प्रात: कालीन होगा। इसकी ¨चता बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों में है। बता दें कि अप्रैल के प्रथम सप्ताह में हर वर्ष विद्यालयों का संचालन प्रात: कालीन आरंभ कर दिया जाता था। इस बार थोड़ी विलंब से गर्मी शुरू होने के कारण विद्यालयों को प्रात: कालीन नहीं किया गया। लेकिन अप्रैल का तीसरा सप्ताह चल रहा है। मौसम भी अपना रंग दिखाने लगा है। कई विद्यालय तो पोषक क्षेत्र से दो किलो किलोमीटर दूरी पर होने की वजह से बच्चों को यह सफर तय करनी पड़ती है। अभिभावकों का कहना है कि विलंब से ही सही कम से कम अब तो विद्यालयों का संचालन प्रात: कालीन हो जाना चाहिए। छोटे-छोटे बच्चों को लेकर ¨चता होती है। उधर नाम नहीं छापने की शर्त पर कई शिक्षकों ने बताया कि विद्यालय प्रात: कालीन हो जाने से न केवल गर्मी से राहत मिलेगी बल्कि पठन पाठन में भी शिक्षक और बच्चे राहत महसूस करेंगे। अभिभावक रमेश दत्त अरे, शकील मियां अजीज मियां, जो¨गदर राय, रंजीत कुमार आदि ने जिला पदाधिकारी से मांग की है कि बच्चों को धूप से बचाते हुए उनके स्वास्थ्य का ख्याल कर विद्यालय प्रात: कालीन किया जाए।

chat bot
आपका साथी