मीना बाजार जहां देश के दीवानों ने गद्दार की कर दी थी हत्या

बेतिया। शायद बहुत कम ही लोगों को मालूम है कि स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में हीरो से जीरो

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 12:27 AM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 12:27 AM (IST)
मीना बाजार जहां देश के दीवानों ने गद्दार की कर दी थी हत्या
मीना बाजार जहां देश के दीवानों ने गद्दार की कर दी थी हत्या

बेतिया। शायद बहुत कम ही लोगों को मालूम है कि स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में हीरो से जीरो बने गद्दार फणींद्रनाथ घोष की हत्या देश के दीवानों ने शहर के मीना बाजार में कर दी थी। ऐतिहासिक इस गाथा की मीना बाजार में आज भी कोई निशानी देखने को नहीं मिलती है। इस ऐतिहासिक घटना से आज भी युवा पीढ़ी अनभिज्ञ है। बात उन दिनों की है जब स्वतंत्रता संग्राम की निर्णायक जंग लड़ी जा रही थी। लंदन से भारत पहुंची साइमन कमीशन का विरोध लाला लाजपत राय कर रहे थे। इस तरह का विरोध अंग्रेजों को नागवार गुजरा। इसी क्रम में अंग्रेजी हुकूमत ने जमकर लाठियां बरसाई। नतीजन उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद देश में उबाल आ गया। क्रांतिकारियों ने सुनियोजित योजना के तहत लाला लाजपत राय की मौत के जिम्मेवार अंग्रेज व पदाधिकारियों को मौत की नींद सुला दी। इस घटना के बाद अंग्रेजों के कान खड़े हो गए। बेचैन ब्रिटिश हुकूमत भी देश के दावानों को समाप्त करने पर तूल गई। लंदन से खुफिया विशेषज्ञों को बुलाया गया। पूरे देश में क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी के लिए अंग्रेजों ने जाल बिछाया। इसी बीच भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के हीरो से जीरो बने फणींद्रनाथ घोष को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। अंग्रेजों के जुल्म के सामने कोई नहीं टूटा। लेकिन पुलिस जुल्म से घबराकर फणींद्रनाथ घोष ने क्रांतिकारियों के सारे नेटवर्क का भंडाफोड़ कर दिया। इतना ही नहीं वह सरकारी गवाह भी बन गए। चंद्रशेखर आजाद को छोड़कर लगभग सभी क्रांतिकारी गिरफ्तार कर लिए गए। फणीन्द्रनाथ की इस कायराना हरकत पर क्रांतिकारी घृणा से उबल पड़े। गद्दार फणींद्र की हत्या के लिए क्रांतिकारी योगेंद्र शुक्ल व केदार मणि शुक्ल तैयार हो गए। चंद्रशेखर आजाद ने पता लगाया तो खुलासा हुआ कि फणींद्रनाथ घोष कोलकाता से बेतिया आ गया है। मीना बाजार में दुकान चला रहा है। गुस्से में योगेंद्र शुक्ल व केदार मणि शुक्ल बेतिया पहुंच गए। योजना के सफल निष्पादन का जिम्मा क्रांतिकारी विद्या प्रसाद को सौंपा गया। उन्हें लाइनर के रूप में जिम्मेवारी निभाने का निर्देश दिया गया। केदार मणी शुक्ल और विद्या प्रसाद ने फणीन्द्र की गतिविधियों की जानकारी क्रांतिकारी योगेंद्र शुक्ल और बैकुंठ शुक्ल को दी। योजना के अनुसार योगेंद्र शुक्ल वेष बदलकर फणीन्द्र की दुकान पर पहुंच गए। दोनों की साइकिल का जिम्मा और वहां से सुरक्षित निकाल देने के लिए विद्या प्रसाद व बैकुण्ठ शुक्ल अवंतिका चौक पर खड़े हो गए। योगेंद्र शुक्ल जैसे ही फणींद्र की दुकान पर गए तो शातिर फणींद्र ने उन्हें पहचान लिया। फणींद्र इधर पिस्टल निकाल ही रहा था कि योगेंद्र शुक्ल ने खुखरी से उनका काम तमाम कर दिया। बाद में योगेंद्र शुक्ल, केदार मणि शुक्ल, बैकुण्ठ शुक्ल, विद्या प्रसाद को फणींद्र नाथ की हत्या के आरोप में अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। अफसोस इस बात का है कि स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई का एक बड़े गवाह रहे मीना बाजार में इसकी कोई निशानी नहीं है। युवा पीढ़ी को यह पता नहीं है कि देश की आन बान शान की बखिया उड़ाने वाले फणींद्र नाथ को देश के दीवानों ने इस कदर सबक सिखाया है। ------------------------ इनसेट सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सचिव डॉ. एजाज अहमद ने बताया कि सरकार की जिम्मेवारी है कि मीना बाजार में महान देशभक्त योगेंद्र शुक्ल, केदार मणि शुक्ल, बैकुंठ शुक्ल, विद्या प्रसाद की प्रतिमा स्थापित करें। वहीं शहीदों का संग्रहालय बनाने में रुचि दिखाए। सरकार क्रांतिकारियों की साइकिल, खुखरी एवं उनके द्वारा प्रयोग किए गए वस्तुओं को संग्रहालय में सुसज्जित करे।

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