पेयजल को तरस रहे बाढ़ पीड़ित, अधिकारियों को रास्ता ठीक होने का इंतजार

बगहा। रामनगर प्रखंड के दोन के इलाके में बाढ़ पीड़ित पीने के लिए पानी को तरस रहे हैं और अधिकारियों को अभी आवागमन के लिए रास्ता ठीक होने का इंतजार है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 05 Aug 2019 10:10 PM (IST) Updated:Tue, 06 Aug 2019 06:38 AM (IST)
पेयजल को तरस रहे बाढ़ पीड़ित, अधिकारियों को रास्ता ठीक होने का इंतजार
पेयजल को तरस रहे बाढ़ पीड़ित, अधिकारियों को रास्ता ठीक होने का इंतजार

बगहा। रामनगर प्रखंड के दोन के इलाके में बाढ़ पीड़ित पीने के लिए पानी को तरस रहे हैं और अधिकारियों को अभी आवागमन के लिए रास्ता ठीक होने का इंतजार है। रास्ता ठीक होने के बाद अधिकारी बाढ़ पीड़ितों के गांव में जाएंगे। फिर उन्हें सरकारी सहायता मुहैया कराने की योजना बनेगी। मसलन, बाढ़ व बरसात का सीजन खत्म होने के बाद राहत मुहैया कराई जाएगी। ये सरकारी तंत्र की योजना है। हालांकि दोन क्षेत्र के लोग सुबह में जब धूप निकलती है तो वे अपना काम धंधा छोड़कर अधिकारियों के आने की प्रतीक्षा करते हैं। उन्हें लगता है कि आज मौसम ठीक है। संभव है कि अधिकारियों की टीम आएगी। पीड़ितों को सहायता पहुंचाने की दिशा में पहल होगी। पर, देर शाम तक इंतजार करते रह जाते हैं, कोई अधिकारी नहीं आते। सोमवार को भी कुछ ऐसा ही नजारा दिखा। दोन के बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने के लिए दैनिक जागरण की टीम अवरहिया पहुंची। गांव बिखर चुका है, फिर भी सात-आठ लोग चौराहे पर बैठे थे। इन्हें अधिकारियों के आने की प्रतीक्षा थी। हमें भी ये लोग राहत वितरण करने वाली टीम समझ कर ताबड़तोड़ सवालों की झड़ी लगा दी। 25 दिन हो गए। अब तक कहां थे आप लोग? बाढ़ के कहर से लोग तबाह है? कोई पूछने तक नहीं आया? यहीं सरकारी व्यवस्था है? जैसे अनेक सवाल.. हालांकि लोगों की भीड़ में एक परिचित भी थे। उन्होंने पहचान लिया। फिर गांव के लोगों ने आरंभ की अपनी दर्द भरी दास्तान।

----------------

पांच घंटे की तबाही बनाम पंद्रह दिन

ग्रामीणों ने बताया कि बीते 11 जुलाई से बाढ़ का कहर झेल रहे हैं। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि बाढ़ पीड़ितों को राहत तभी मिलती है, जब 72 घंटे तक घरों में पानी रहता है। यहां तो सिर्फ पांच से सात घंटे तक ही घर में पानी घुसा था। सो, राहत नहीं मिलेगी। ग्रामीण चंद्रिका उरांव ने कहा, अधिकारियों को यहां बाढ़ आकर देखने की आवश्यकता है। ताकि उन्हें पता चले कि पांच घंटे में जो तबाही यहां की पहाड़ी नदियां मचाती है, वह पंद्रह दिनों के बाढ़ के बराबर है। इस तरह से नियम में बदलाव की आवश्यकता है। गांव का हरेक परिवार बर्बाद हो चुका है। खाने - खाने को मोहताज हैं। फिर भी अधिकारियों को 72 घंटे तक लोगों के घरों में पानी घुसे रहने का इंतजार है। राधिका देवी कहती हैं कि जिन अधिकारियों को 25 दिनों में यहां आने के लिए रास्ता नहीं मिला, उन्हें यह बात समझ में क्यों नहीं आती कि वहां के लोगों की जिदगी किस तरह से कट रही होगी?

----------------

हरेक गांव में अधिकारियों के खिलाफ गुस्सा

रामनगर के दोन के अवरहिया, मदरहवा टोला , जरलहिया, नरकटिया ,बंगलहवा टोला, हरिहरपुर, मदरहवा, नौरंगिया, बनकटवा, पीपरा, रूपवलिया, कमरछिनवा आदि गांवों में बाढ़ पीड़ितों के मन में अधिकारियों के प्रति गुस्सा है। इनका गुस्सा काफी हद तक जायज भी है। सरकारी नियम को अगर दरकिनार कर दें तो अधिकारियों को भी मानवीय संवेदना रखनी चाहिए। ये लोग जंगल व पहाड़ में बसे है। इनको मदद से अधिक मानवीय संवेदना की आवश्यकता है। यह वह इलाका है, जहां नक्सलवाद की बुनियाद रखी जाती है। अधिकारियों की इसी क्रूरता की वजह से नक्सलवाद भी पनप रहा है। माना कि सरकारी नियम 72 घंटे तक घरों में पानी रहने के बाद ही राहत देने को कहता है। लेकिन इन लोगों के बीच में जाकर संवेदना के दो शब्द करने से तो कोई सरकारी नियम नहीं रोकती?

-----------------

इनसेट --

अभी तक नहीं पहुंची राहत सामग्री

रामनगर, संवाद सूत्र : बाढ़ का पानी निकले कई दिन हो गएं। पर बाढ़ प्रभावित गांवों में अभी तक राहत के नाम पर कुछ भी नहीं पहुंच सका है। जिसका इंतजार आज भी ग्रामीणों को है। कुछ प्लास्टिक सीट का वितरण जरूर किया गया है। पर यह भी महज कुछ गांवों तक हीं सिमटा हुआ है। मदरहवा टोला के जरलहिया गांव के अवध किशोर महतो का कहना है कि ग्रामीण आज भी इसी इंतजार में हैं कि कोई अधिकारी आए तो अपना हाल सुनाएं। कुछ राहत मिलेगी। नरकटिया गांव के गौतम महतो कहते हैं कि बाढ़, कटाव, नुकसान के बावजूद भी अभी तक कोई गांव का हाल जानने नहीं आया। हमने श्रमदान से बांध का निर्माण हाल में हीं किया है। दोन के अवरहिया गांव के लोग आज भी पानी के लिए एक किलोमीटर दूर जा रहें हैं। ग्रामीण रूदल उरांव का कहना है कि पानी की समस्या यहां सबसे बड़ी है। पर अभी तक गांव में कोई अधिकारी नहीं आया।

----------------

इनसेट बयान

दोन के जिन गांवों में आवागमन सुचारू हो गया हैं। वहां जो संभव हो सका राहत दी गई है। जिन क्षेत्रों में अब धीरे धीरे रास्ता ठीक हो रहा है। वहां के हालात का जायजा शीघ्र हीं लिया जाएगा। फिर राहत पहुंचाई जाएगी। वैसे , 72 घंटे तक घरों में पानी रहने के बाद ही राहत देने का प्रावधान है।

विनोद मिश्रा, सीओ, रामनगर

chat bot
आपका साथी