घाटों पर नहीं जुटे श्रद्धालु, घर पर स्नान के बाद किया दीपदान

बगहा। गुरु पूर्णिमा को हिदू समाज में काफी महत्व दिया गया है। इस बार अधिमास के कारण इसका अ

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 12:27 AM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 12:27 AM (IST)
घाटों पर नहीं जुटे श्रद्धालु, घर पर स्नान के बाद किया दीपदान
घाटों पर नहीं जुटे श्रद्धालु, घर पर स्नान के बाद किया दीपदान

बगहा। गुरु पूर्णिमा को हिदू समाज में काफी महत्व दिया गया है। इस बार अधिमास के कारण इसका और अधिक महत्व है। कहा गया है कि इस दिन देवता भी दीपावली मनाते हैं। वजह चाहें जो हो पर, सालों से इस दिन सुबह में गंगा स्नान-दान करने का रिवाज चला आ रहा है। वैसे इस दिन नदी व नहरों में स्नान का महत्व माना जाता है। पर, स्थानीय स्तर पर इस तरह की कोई साफ नदी व घाट नहीं होने के कारण लोग अपने घरों में हीं यह काम करते हैं। हालांकि इस बार कोरोना के कारण वाल्मीकिनगर व रजवटिया घाट पर स्नान करने जाने वालों की संख्या भी नगण्य रही। कहा जाता है कि इस दिन पूजा के क्रम में दीपक जलाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। साथ ही भविष्य में आने वाली सभी तरह के परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। पाप का नाश भी होता है। इसलिए इसदिन काफी संख्या में लोग पूजा कर दीपक भी जलाते हैं। वहीं चावल, वस्त्र के साथ अन्य सामग्री दान भी करते हैं। पंडित मुनिनाथ पांडेय ने बताया कि पौराधिक कथाओं के अनुसार भोलेनाथ ने इस दिन त्रिपुरासुर का वध किया था। जो तीन भाई था। इसके वध के लिए शिव को त्रिपुरारी का रूप धारण करना पड़ा था। इस असुर के वध से खुश होकर देवताओं ने खुशियां मनाई थी। देवताओं ने दीप जलाकर दीपवाली मनाई थी। मान्यता है कि इस त्रिपुरारी पुर्णिमा को विधि पूर्वक गंगा स्नान, ध्यान कर दान व दीप जलाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। बता दें कि नगर व प्रखंड से प्रत्यके वर्ष काफी संख्या में लोग हरिद्वार व बनारस गंगा स्नान के लिए जाते हैं। पर, इस बार कोरोना के कारण इसे घर पर ही मनाया जा रहा है।

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