टैक्स के विरोध में दूसरे दिन भी बंद रही कपड़ा दुकानें

वैशाली। बिहार सरकार के कपड़ा पर टैक्स लगाने के निर्णय के विरोध में शुक्रवार को दूसर

By Edited By: Publish:Fri, 22 Jan 2016 09:16 PM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2016 09:16 PM (IST)
टैक्स के विरोध में दूसरे दिन भी बंद रही कपड़ा दुकानें

वैशाली। बिहार सरकार के कपड़ा पर टैक्स लगाने के निर्णय के विरोध में शुक्रवार को दूसरे दिन भी कपड़ा व्यवसायियों ने अपनी-अपनी प्रतिष्ठानें बंद रखीं। बंद के दौरान कपड़ा व्यवसायियों ने टैक्स लगाने के फैसले को वापल लेने की मांग करते हुए सरकार के विरोध में जमकर प्रदर्शन किया। 2 हजार रुपये से अधिक मूल्य की साड़ी एवं 5 सौ रुपये से उपर के मूल्य के सभी रेडिमेड कपड़ों पर बिहार सरकार द्वारा लगाए गए 5 प्रतिशत वैट के विरोध में वैशाली कपड़ा संघ से जुड़े विक्रेताओं ने गुरुवार व शुक्रवार को आंदोलन का आह्वान किया था। बंदी के पहले दिन शुक्रवार को भी हाजीपुर शहर समेत जिले की सभी कपड़ा दुकानें बंद रहने के कारण करोड़ों रुपये के व्यापार के नुकसान का अनुमान है। कपड़ा विक्रेताओं की बंदी के कारण आम लोगों को भी काफी परेशानी उठानी पड़ी। लगन के अवसर पर खरीदारी करने निकली दूर-दराज की आम जनता को इस बंद से काफी असुविधा का सामना करना पड़ा।

बंद के संबंध में वैशाली कपड़ा संघ से जुड़े विक्रेताओं का कहना है कि 2 हजार रुपये से अधिक की साड़ी एवं 5 सौ से अधिक रुपये के रेडिमेड वस्त्रों पर बिहार सरकार ने 5 प्रतिशत टैक्स लगाने से पहले रेडिमेड कपड़ा व्यापारियों को पूर्व में कोई सूचना नहीं दी। इसके साथ ही शू¨टग-शर्टिंग पर इस तरह का कोई भी टैक्स देश के किसी अन्य राज्य में नहीं लगाया गया है। दुकानदारों का कहना था कि टैक्स की घोषणा गत 13 जनवरी को की गई और इसकी अधिसूचना उसी दिन से लागू कर दी गई जबकि पूरे बिहार में ऐसे रेडिमेड वस्त्र दुकानदारों की संख्या लाखों में है, जिनके पास वैट की रजिस्ट्रेशन संख्या नहीं है। सरकार ने इस तरह का निर्णय लेने से पूर्व कपड़ा व्यवसायियों को भरोसे में नहीं लिया। जिससे व्यापारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस तरह का टैक्स लगाने के कारण अब बिहार से बाहर की साड़ी व रेडिमेड गार्मेंट मंगाना यहां के व्यवसायियों के लिए संभव नहीं है। व्यापारी असमंजस में हैं कि दूसरे प्रदेशों से इस लगन के अवसर पर माल कैसे मंगाए ? केंद्र सरकार द्वारा घोषित जीएसटी बिल संभवत: अप्रैल माह से लागू हो सकता है और बिहार सरकार ने भी इस बिल को अपना समर्थन दिया है। ऐसे में सूबे की सरकार द्वारा लगाए गए इस तरह के टैक्स का क्या औचित्य है ? सरकार को यह भी समझना चाहिए कि इस तरह के टैक्स का बोझ अंतत: आम जनता के कंधों पर ही जाएगा। व्यवसायियों का कहना था कि अविलंब वापस नहीं लिया तो व्यवसायियों का आंदोलन और तेज किया जायेगा।

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