फ्लायर: गांव में दिव्यांग जगा रहा शिक्षा की अलख

ब्रजेश, जंदाहा (वैशाली): जंदाहा प्रखंड के चांदसराय गांव में दोनों पैर से दिव्यांग 26 वर्षीय अखि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Dec 2017 06:16 PM (IST) Updated:Wed, 13 Dec 2017 08:35 PM (IST)
फ्लायर: गांव में दिव्यांग जगा रहा शिक्षा की अलख
फ्लायर: गांव में दिव्यांग जगा रहा शिक्षा की अलख

ब्रजेश, जंदाहा (वैशाली): जंदाहा प्रखंड के चांदसराय गांव में दोनों पैर से दिव्यांग 26 वर्षीय अखिलेश ठाकुर खुद मुफलिसी में रहते हुए पिछले कई वर्षों से हाथों में शिक्षा की मशाल थामे अशिक्षारूपी अंधकार को दूर करने के प्रयास में जुटे हैं। बिना किसी सरकारी सहायता के इलाके के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के अखिलेश के जज्बे के आगे उनकी दिव्यांगता बौनी साबित हो रही है। वह न सिर्फ इलाके के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रहा, बल्कि अपनी ट्राई साइकिल से इलाके में घूम-घूमकर लोगों से अपने बच्चों को शिक्षित बनाने की अपील भी करता है। उसके यहां प्रतिदिन सौ से ज्यादा बच्चे पढ़ने आते हैं। अपने दरवाजे पर ही वह बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देता हैं। अखिलेश के जज्बे को इलाके के लोग व स्थानीय जनप्रतिनिधि भी सलाम करते हैं।

लोगों में शिक्षा के प्रति लगाव कम देख अखिलेश ने लिया था प्रण :

लगभग दस वर्ष पूर्व इलाके में बड़ी संख्या में बच्चों व उनके अभिभावकों में शिक्षा के प्रति कम लगाव देख अखिलेश ने बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का प्रण लिया। शुरुआती दिनों में अखिलेश को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। एक तो बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि न के बराबर थी, वहीं दूसरी ओर बच्चों के अभिभावक भी बच्चों को शिक्षित करने के प्रति ज्यादा गंभीर नहीं थे। लेकिन अखिलेश ने हिम्मत नहीं हारी। सरकार की ओर से मिली एक ट्राई साइकिल के सहारे वे इलाके में घूम-घूम कर लोगों को शिक्षा के महत्व को बताने लगे तथा बच्चों को शिक्षित करने की अपील करने की। उनकी मेहनत धीरे-धीरे रंग लाने लगी। उनके दरवाजे पर पढ़ने वाले बच्चों की भीड़ बढ़ने लगी तथा इलाके के लोग भी अपने बच्चों को शिक्षित करने पर जोर देने लगे। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे उनके यहां शाम के वक्त पढ़ने के लिए पहुंचते हैं। अखिलेश बताते हैं कि उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य इलाके से अशिक्षारूपी अंधकार को दूर करना है।

chat bot
आपका साथी