जैव-विविधता संरक्षा को सामाजिक आंदोलन की जरूरत

वैशाली। जैव-विविधता के घटते क्रम के लिए विकसित मानव-समाज के संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग की लिप्सा जिम

By Edited By: Publish:Wed, 14 Oct 2015 10:56 PM (IST) Updated:Wed, 14 Oct 2015 10:56 PM (IST)
जैव-विविधता संरक्षा को सामाजिक आंदोलन की जरूरत

वैशाली। जैव-विविधता के घटते क्रम के लिए विकसित मानव-समाज के संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग की लिप्सा जिम्मेवार है। इस खतरनाक क्रम को रोकने एवं जैव-विविधता को संरक्षित करने के लिए सामाजिक आंदोलन की आवश्यकता है।

हाजीपुर आरएन कालेज में बुधवार को 'जैव-विविधता एवं उसका संरक्षण' विषय पर आयोजित परिसंवाद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित जुलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के क्षेत्रीय निदेशक डा. गोपाल शर्मा ने यह बातें कही। उन्होंने जैव-विविधता के विभिन्न स्तरों, इसके भारतीय केंद्र-¨बदु एवं उनके विभिन्न घटकों की विस्तार से चर्चा की। साथ ही जैव-विविधता के क्षरण पर घोर ¨चता व्यक्त करते हुए इसे मानव जाति के भविष्य एवं उसके अस्तित्व के लिए घातक बताया। विभिन्न स्तरों की जैव-विविधता के घटते क्रम के लिए विकसित मानव-समाज की संसाधनों को अंधाधुंध उपयोग की लिप्सा को जिम्मेवार बताया। उन्होंने कहा कि इस खतरनाक प्रक्रम को रोकने एवं जैव-विविधता को संरक्षित करने के लिए एक सामाजिक आंदोलन की आवश्यकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित बिहार विश्वविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग के आचार्य एवं अध्यक्ष डा. एस एन पी ¨सह ने की। इस मौके पर उन्होंने छात्र-छात्राओं एवं युवा-वर्ग को जैव-विविधता के संरक्षण के लिए एक इको-प्रोग्राम एवं आंदोलन का रूप प्रदान करने का आह्वान किया। इस मौके पर प्राचार्य डा. ओम प्रकाश राय ने अपने स्वागत भाषण के क्रम में अतिथियों का साधुवाद करते हुए संस्था प्रधान के रूप में उनका हार्दिक अभिनंदन किया। कार्यक्रम का संचालन प्राणीशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डा. सुषमा कुमारी ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डा. विजय कुमार ने किया। इस मौके पर महाविद्यालय के सभी शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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