डेढ़ वर्ष बाद भी हर खेत तक पानी पहुंचाने की योजना का सर्वे नहीं हुआ पूरा

जागरण संवाददाता सुपौल हर खेत को पानी योजना को लागू हुए करीब डेढ़ वर्ष बीतने को है पर

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 12:36 AM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 12:36 AM (IST)
डेढ़ वर्ष बाद भी हर खेत तक पानी पहुंचाने की योजना का सर्वे नहीं हुआ पूरा
डेढ़ वर्ष बाद भी हर खेत तक पानी पहुंचाने की योजना का सर्वे नहीं हुआ पूरा

जागरण संवाददाता, सुपौल : हर खेत को पानी योजना को लागू हुए करीब डेढ़ वर्ष बीतने को है परंतु अभी तक सर्वे भी पूरा नहीं हो पाया है। इससे किसानों को निराशा हाथ लगी है। सरकार ने हर खेत को पानी उपलब्ध कराने की यह योजना 2020 में बनाई। मकसद था कि किसानों को सिचाई की समुचित व्यवस्था उपलब्ध करवाकर उनकी आय को बढ़ाना। कार्य तेजी से हो इसके लिए सरकार ने खेत तक पानी पहुंचाने वाली इस योजना को निश्चय टू में शामिल किया लेकिन अबतक सर्वे नहीं हो पाया है।

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298512 भूखंड का लक्ष्य था निर्धारित

योजना को पूर्ण करने के लिए पहले सर्वे करने की कार्य योजना बनाई गई इसके लिए जिले में 298512 भूखंडों का लक्ष्य निर्धारित कर कृषि विभाग को सर्वे का जिम्मा सौंपा गया। कृषि विभाग किसान सलाहकार तथा कृषि समन्वयक की मदद से सर्वे का कार्य पूरा कर लिया। जमीनी सर्वे पूर्ण होने के बाद तकनीकी सर्वे की योजना बनी। यह योजना दिसंबर 2020 में बनी और इस पर काम होना भी शुरू हुआ। पहले तय हुआ कि इस सर्वे को एक सौ दिनों में पूरा करना है लेकिन बाद में एक सौ कार्य दिवस में पूरा करने का लक्ष्य बना। इसे मई के अंत तक पूरा करना तय हुआ परंतु ऐन वक्त पर कोरोना की लहर ने सारी योजनाओं पर पानी फेर दिया। कोरोना की लहर के कारण अधिकारी सर्वे को गांव नहीं जा रहे थे कारण तकनीकी सर्वे के दौरान उन्हें ग्रामीणों के साथ बैठक भी करनी थी।

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नलकूप लगाने की थी योजना

सर्वे के दौरान तकनीकी टीम को देखना था कि पानी खेत तक कैसे पहुंचाया जाए। यदि किसी जगह आहार पाइन का विकल्प संभव नहीं है तो वहां बिजली पहुंचाकर नलकूप लगाने की व्यवस्था की जानी थी। जो भी विकल्प सही होता उसका प्राक्कलन इंजीनियर को तैयार करना था। कृषि विभाग द्वारा किए गए प्लाट टू प्लाट सर्वे में जिले के करीब आठ लाख हेक्टेयर खेती योग्य जमीन असिचित पाई गई जिसमें कई किसानों ने बोर बेला तो कई किसानों ने बिजली चालित सिचाई की मांग की थी। ऐसे भी किसान थे जिन्होंने माइनर बना देने पर नहर से सिचाई का भी विकल्प विभाग को दिया था।

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243 टीम थी गठित

चार विभाग को मिलाकर 243 टीम बनी। तकनीकी सर्वे के लिए जल संसाधन विभाग को योजना का नोडल नामित किया गया। इसके साथ लघु जल संसाधन, बिजली और कृषि विभाग को तकनीकी सर्वे में शामिल किया गया। चारों विभागों को मिलाकर हर प्रखंड के लिए अलग-अलग टीम बनी इसके अलावा हर जिले में मानिटरिग के लिए भी अलग से एक एक टीम बनी। मास्टर ट्रेनर की एक टीम अलग से बनी। सभी टीम को प्रशिक्षण भी दिया गया और सर्वे भी शुरू हुआ। तकनीकी सर्वे के लिए कृषि विभाग द्वारा सर्वे की पूरी रिपोर्ट टीम को सौंपी गई लेकिन कोरोना के कारण सारी तैयारी धरी की धरी रह गई।

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