52 अस्पताल व पैथोलॉजी पर चला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का डंडा, बंद करने का आदेश

सुपौल। जिले के 52 निजी अस्पताल व पैथोलॉजी पर बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का डंडा चला है। बो

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Jan 2019 01:34 AM (IST) Updated:Sat, 05 Jan 2019 01:34 AM (IST)
52 अस्पताल व पैथोलॉजी पर चला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का डंडा, बंद करने का आदेश
52 अस्पताल व पैथोलॉजी पर चला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का डंडा, बंद करने का आदेश

सुपौल। जिले के 52 निजी अस्पताल व पैथोलॉजी पर बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का डंडा चला है। बोर्ड ने इन निजी अस्पताल व पैथोलॉजी को बंद करने का आदेश दिया है। यह कार्रवाई जैव चिकित्सा अपशिष्ट का निष्पादन उक्त अस्पताल में सही तरीके से नहीं किए जाने के बाबत की गई है। बोर्ड की कार्रवाई की जद में आने वाले सुपौल शहर के 27, सिमराही के 16 तथा त्रिवेणीगंज के 9 निजी अस्पताल व पैथोलॉजी शामिल हैं। बोर्ड ने उक्त निजी अस्पताल एवं पैथोलॉजी के संचालकों को की गई कार्रवाई के विरुद्ध पन्द्रह दिनों के अंदर आपत्ति दर्ज कराने के लिए कहा है। अगर आपत्ति दर्ज नहीं कराई जाती है और निर्धारित समय के बाद भी अस्पताल व पैथोलॉजी का संचालन किया जाता है तो इसके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाई जाएगी। प्रभारी सिविल सर्जन मेजर डॉ. एसबी प्रसाद ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 52 निजी अस्पताल एवं पैथोलॉजी बायो मेडिकल वेस्टेज में गड़बड़ी पाई है। इसलिए उन्हें सीधे नोटिस भेज कर बंद करने का आदेश दिया है। जिसकी प्रतिलिपि सिविल सर्जन कार्यालय को उपलब्ध करवाई गई है ताकि हमलोग मोनेट¨रग कर सकें। अगर किसी को इस पर एतराज है तो बोर्ड ने स्पष्टीकरण के लिए पन्द्रह दिन समय दिया है। अन्यथा उसके विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाई जाएगी। जैव चिकित्सा अपशिष्ट के निष्पादन के प्रति नहीं है गंभीरता

मेडिकल वेस्टेज यानी जैव चिकित्सा अपशिष्ट के निष्पादन के प्रति अस्पताल अथवा पैथोलॉजी संचालक तनिक भी गंभीर नहीं हैं। नतीजा है कि ये अपशिष्ट प्रदूषण फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन मेडिकल वेस्टेज को बस यूं ही यत्र-तत्र फेंक दिया जाता है। जिसका सड़ांध लोगों का जीना मुहाल कर देता है।

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