बाजार मूल्य के ब्रेक से गेहूं खरीद का पहिया जाम

सुपौल। किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं अधिप्राप्ति का मामला अभी तक अधर में ही लटका है। आलम

By Edited By: Publish:Wed, 25 May 2016 01:04 AM (IST) Updated:Wed, 25 May 2016 01:04 AM (IST)
बाजार मूल्य के ब्रेक से गेहूं खरीद का पहिया जाम

सुपौल। किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं अधिप्राप्ति का मामला अभी तक अधर में ही लटका है। आलम यह है कि संबंधित एजेंसियों द्वारा एक भी क्रय केन्द्र नहीं खोला गया है। जबकि गेहूं अधिप्राप्ति की निर्धारित तिथि से एक महीने से अधिक समय गुजर चुका है। इसका मुख्य कारण केन्द्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य से बाजार मूल्य का अधिक होना बताया जाता है। ऐसे में जिले के किसान खुद के द्वारा उत्पादित गेहूं अनाज व्यापारियों के हाथ बेचना पसंद कर रहे हैं। इस चलते पैक्स व व्यापार मंडल के अध्यक्षों ने गेहूं अधिप्राप्ति कार्य से हाथ खड़े कर दिये हैं। अब शेष समय में गेहूं की खरीदारी होगी कहना मुश्किल है।

-बाजार मूल्य व समर्थन मूल्य में अंतर

जानकार बताते हैं कि एमएसपी व बाजार मूल्य में भारी अंतर है। सरकारी दर 1525 रूपये निर्धारित किया गया है। जबकि खुले बाजार में 1560 से 1650 रूपये प्रति क्विंटल गेहूं खरीदने को तैयार बैठे हैं। ऐसे में सरकारी एजेंसी को अपना गेहूं बेच कर कौन किसान घाटा उठाना चाहेगा।

- अधिप्राप्ति का निर्धारित लक्ष्य

सरकार द्वारा जिले में गेहूं खरीद का लक्ष्य 17 हजार मीट्रिक टन निर्धारित किया गया है। परन्तु अभी तक एक ग्राम गेहूं की खरीद नहीं हुई है। जिनको लेकर संबंधित विभाग किंकर्तव्य विमूढ़ हैं। उसे सूझ नहीं रहा है कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए आखिर कौन सी तरकीब अपनायी जाए।

- 31 जुलाई तक होनी है खरीद

गेहूं अधिप्राप्ति को लेकर सरकार द्वारा 15 अप्रैल से 31 जुलाई तक का समय निर्धारित किया गया। इस बीच गेहूं की खरीदारी खरीफ मौसम में हुए धान खरीद के तर्ज पर करने का निदेश दिया गया। सहकारी विभाग व कृषि विभाग द्वारा तैयार डाटा बेस के आधार पर ही गेहूं की खरीद की जानी है। जिसकी जिम्मेवारी पंचायत स्तर पर पैक्स व प्रखंड स्तर पर व्यापार मंडल को सौंपी गई है। शत-प्रतिशत खरीददारी इन्हीं एजेंसियों को करनी है। इस कार्य में एसएफसी को दूर रखा गया है।

-कोट

''बाजार मूल्य व समर्थन मूल्य में अंतर रहने के कारण कोई भी एजेंसी गेहूं अधिप्राप्ति को तैयार नहीं हैं। किसान भी घाटे का सौदा कर नहीं सकते। वैसे भी किसानों को अधिक मुनाफा हो। विभाग भी यही चाहती है। अगर ऐसी स्थिति रही तो फिर सरकारी स्तर पर जिले में गेहूं खरीद करना संभव नहीं हो पाएगा''

मो. जैनुल आबादीन अंसारी

जिला सहकारिता पदाधिकारी

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