जहां महिलाओं का होना चाहिए पहरा, वहां पुरुष थानेदार को कमान

महिला थाने मेंमर्दतो पुरुष थाने में महिला थानेदार! यह सुनकर अटपटा लगना स्वाभाविक है। पुलिस महकमे का कारनामा भी अजब-गजब सामने आता है। सीतामढ़ी के इकलौते महिला थाने का यही माजरा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 04 Feb 2020 01:08 AM (IST) Updated:Tue, 04 Feb 2020 06:14 AM (IST)
जहां महिलाओं का होना चाहिए पहरा, वहां पुरुष थानेदार को कमान
जहां महिलाओं का होना चाहिए पहरा, वहां पुरुष थानेदार को कमान

सीतामढ़ी । महिला थाने में'मर्द'तो पुरुष थाने में महिला थानेदार! यह सुनकर अटपटा लगना स्वाभाविक है। पुलिस महकमे का कारनामा भी अजब-गजब सामने आता है। सीतामढ़ी के इकलौते महिला थाने का यही माजरा है। इस थाने में पुरुष थानेदार काबिज है, तो चोरौत में पुरुष अफसर के बदले महिला को थानेदारी सौंपी गई है। महिला अफसर की कमी अगर है भी, तो चोरौत की थानाध्यक्ष अमिता सिंह को यहां की कमान क्यों नहीं सौंप दी जाती? मगर, इस तरफ किसी का ध्यान नहीं है। इस प्रकार, महिला थाने में जहां महिला अफसर का पहरा होना चाहिए, वहां पुरुष थानेदार काबिज हैं। सरकार ने महिला थाने महिलाओं की सुविधा के लिए खोले हैं। जैसा कि नाम से ही लग रहा है कि इस थाने में स्टाफ भी महिलाएं ही होंगी। जिससे शिकायत करने वाली महिला थाने आकर खुद को असहज महसूस ना करे। बहरहाल, पुलिस महकमे के इस कदम ने महिला थाने की उपयोगिता पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। दुष्कर्म के मामलों में महिला पुलिस अधिकारी ही जरूरी महिला थाने का उद्देश्य मुख्य रूप से महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को रोकने व उनकी सुनवाई के लिए किया गया था। अक्सर महिलाएं जनरल थानों में शिकायत देने में कतराती हैं। क्योंकि, वहां पर पुरुष थानेदार को देखकर वह खुलकर अपनी समस्या नहीं बता पाती हैं। घरेलू हिसा, दहेज उत्पीड़न, विवाहित झगड़े सहित अन्य उत्पीड़न के मामलों पर काउंसलिग की जाती है। यहां पर अभी तक महिला इंचार्ज ही लगती रही हैं, जो कि महिलाओं की समस्या को सुन उनकी काउंसलिग करती हैं। सालभर पहले कुमारी विभा रानी थानाध्यक्ष थीं, जो ट्रांसफर होकर छपरा चली गईं।दुष्कर्म के मामलों में महिला पुलिस अधिकारी ही जरूरी है। महिला थाने का ये है हाल, जिप्सी भी खटारा

भवदेपुर में पुराने नगर थाने में यह थाना किसी तरह संचालित हो रहा है। महिला थानों के गठन के पीछे सरकार की मंशा यही थी कि महिलाएं अपनी बात खुलकर रख सकें, लेकिन इस थाने का हाल देखकर व्यवस्था पर रोना आता है। यहां सुरक्षा के लिए समुचित पुलिस भी नहीं है। महिला थानेदार का अभाव ही नहीं संसाधन का भी रोना है। यहां एक प्रमोटेड महिला सब इंस्पेक्टर मालती कुमारी हैं। दो सब इंस्पेक्टरों में एक अनिल कुमार शुक्ला 31 दिसंबर को रिटायर हो गए। दूसरे सुंदर यादव भी प्रमोटेड हैं, उनकी नौकरी 10 माह बची है। एक जमादार केदार कुंवर, चार महिला कांस्टेबल, चार होमगार्ड पुलिस बल के नाम पर हैं। वाहन के नाम पर एक जिप्सी ही है वह भी खटारा हालत में। केस का अनुसंधान करने के लिए आने-जाने में परेशानी होती है। थानेदार एसआई देवेंद्र चौधरी का कहना है कि मेरी पोस्टिग हुई तभी मैं यहां हूं। वैसे गोपालगंज में रहते हुए महिला थाने का तीन साल का अनुभव है।

एसपी को है व्यवस्था का जिम्मा

महिला थाने में महिला थानेदार की तैनाती की व्यवस्था एसपी को करनी है। अगर एसपी के पास पर्याप्त बल नहीं है, तब वे पुलिस मुख्यालय से इसकी मांग कर सकते हैं। मगर, एसपी अनिल कुमार का कहना है कि इससे काम पर कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने यहां तक कहा कि महिला थाने में इंस्पेक्टर का पद है। महिला इंस्पेक्टर नहीं होने से पुरुष को उसपर पदस्थापित किया गया है।

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