जर्जर तटबंधों बाढ़ का खतरा

जिले के ¨सघिया प्रखंड क्षेत्र में जर्जर तटबंधों से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों की नींद अभी से उड़ने लगी है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Jun 2018 05:09 PM (IST) Updated:Sat, 23 Jun 2018 05:09 PM (IST)
जर्जर तटबंधों बाढ़ का खतरा
जर्जर तटबंधों बाढ़ का खतरा

समस्तीपुर । जिले के ¨सघिया प्रखंड क्षेत्र में जर्जर तटबंधों से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों की नींद अभी से उड़ने लगी है। लोगों की आखों के सामने एक बार फिर पिछली बाढ़ की विभिषिका नाच रही है। तटबंध टूटने के बाद क्षेत्र में भारी तबाही मच जाएगी। लोगों के जानमान को काफी नुकसान पहुंचेगा। करेह नदी के तांडव को याद कर प्रखंडवासियों का दिल दहल उठता है। अब मानसून दरवाजा खटखटा रहा है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक 24 से 26 जून तक मानसून का पर्दापण हो जाएगा। लेकिन अबतक क्षेत्र के जर्जर तटबंधों पर एक छिट्टी मिट्टी नहीं डाली गई है। इस क्षेत्र के लोगों ने कई बार प्रयंलकारी बाढ़ का सामना किया है। करेह नदी का तटबंध टूटने पर ¨सघिया प्रखंड के 16 पंचायत के अलावा कुशेश्वर स्थान के निचले भाग में जानमाल को खतरा हो सकता है। प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले माहे ,सिवाइया, जहांगीरपुर के केलहुयाघाट, दुर्गास्थान, चौरघटिया, भिरार, बसुया, नवटोलिया निमि तथा राजघाट के बीच करेह नदी के पूर्वी तटबंध की स्थिति खराब है। सिवाइया से लेकर लगमा दुर्गा स्थान चौरघटिया तक में तटबंध में चूहों द्वारा सुरंग किए जाने के कारण बांध की स्थिति खराब बनी हुई है। बाढ़ नियंत्रण अवर प्रमंडल पदाधिकारी केल्हुआघाट के द्वारा सिर्फ कागजी खानापूरी कर की जा रहा है। जबकि अवर प्रमंडल बाढ़ नियंत्रण पदाधिकारी कभी भी सबडिवीजन कार्यालय केल्हुआघाट में रहते नहीं हैं। दरभंगा में रहने के कारण वे सिर्फ झंडात्तोलन के समय कार्यालय में आते हैं। उसके बाद कभी नजर नहीं आते। इसी कारण से बांध की देख रेख नहीं हो पाती तथा कुछ लोगों के द्वारा भारी वाहन परिचालन कर को बांध को छतिग्रस्त कर दिया गया है। साथ ही बांध के किनारे से अवैध रूप से मिट्टी की कटाई की जा रही है। जिससे तटबंध बहुत ही कमजोर हो गया है। इस संबंध में सीओ संजय कुमार प्रसाद ने बताया कि तटबंधों पर लगातार नजर रखी जा रही है। समय रहते मरम्मत का काम पूरा करा लिया जाएगा।

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