..स्वच्छता की मुहीम चला विवेक कर रहे गंदगी पर वार

देश की स्वतंत्रता की लिए हजारों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी।निज स्वार्थ से उपर देश की आजादी थी। आज भी कई लोग हैं जो विवश व लाचार लोगों की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं। समाज सेवा उनका सगल बन गया है। स्वतंत्र भारत के विकास में सारथी बन समाज के सरोकार से जुड़कर निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं। ऐसे ही एक सख्स हैं करगहर के डिभियां गांव रहने वाले समाजसेवी विवेक

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 09:28 PM (IST) Updated:Fri, 14 Aug 2020 06:13 AM (IST)
..स्वच्छता की मुहीम चला विवेक कर रहे गंदगी पर वार
..स्वच्छता की मुहीम चला विवेक कर रहे गंदगी पर वार

रोहतास : देश की स्वतंत्रता की लिए हजारों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी।निज स्वार्थ से उपर देश की आजादी थी। आज भी कई लोग हैं जो विवश व लाचार लोगों की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं। समाज सेवा उनका सगल बन गया है। स्वतंत्र भारत के विकास में सारथी बन समाज के सरोकार से जुड़कर निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं। ऐसे ही एक सख्स हैं करगहर के डिभियां गांव रहने वाले समाजसेवी विवेक कुमार पांडेय उर्फ सोनू पांडेय । कहते हैं अपने दरवाजे पर सफाई का प्रयास तो सभी करते हैं, दूसरे के दरवाजे से कूड़े को हटाना बड़ी बात है। इसी आदर्श वाक्य के साथ वे गत दो वर्षों से स्वच्छता की मुहीम चला रहे हैं। गांवों विशेषकर अनुसूचित जाति बस्तियों की सफाई को प्रमुखता दे रहे हैं। इसके लिए लगभग एक दर्जन सफाई कर्मियों को अपने खर्च से रख नियमित सफाई कराते हैं। कोरोना, मलेरिया, डेंगू से बचाव के लिए केमिकल का छिड़काव करा टोलों को सैनिटाइज भी कराते हैं।

विवेक पांडेय कहते हैं कि गरीबी दूर करने से पहले गंदगी को दूर करनी होगी। गंदगी हटने के बाद गरीबी स्वत: समाप्त हो जाएगी। इसी के लिए वे गत दो वर्ष से मिशन बना कार्य शुरू किया। हर जगह खुद से सफाई व मॉनिटरिग नहीं हो सकती, इसके लिए एक दर्जन कर्मियों को पारिश्रमिक पर रख सफाई कार्य करा रहे हैं। उनकी सोच है कि शौचालय की उपयोगिता व स्वच्छता के प्रति हर कोई जागरूक हो। जब सभी जागरूक हो जाएंगे तो गांवों में स्वच्छता खुद ब खुद दिखने लगेगी।

कोरोना काल में लगातार किया कार्य : कोरोना संक्रमण के खतरे बढ़ने के बाद मार्च के अंतिम महीने से ही वे गांवों में सफाई व सुरक्षा के लिए साबुन, मास्क, सैनिटाइजर के अलावे केमिकल का छिड़काव कराने का कार्य किया। करगहर के अलावा कोचस प्रखंड के कई गांवों में भी उनका अभियान चला।

सांस्कृतिक धरोहर बचाने के लिए युवाओं व बच्चों को करते हैं प्रोत्साहित :

गांवों से लुप्त हो रही सांस्कृतिक धरोहर के कारण आज तनाव व विवाद बढ़ा है। लोग थाना पहुंच केस मुकदमा कर अपनी कमाई की बड़ी राशि खर्च कर दे रहे हैं। इससे बचाव के लिए युवाओं को नाटक व अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करते हैं। कहते हैं कि लगभग पांच दर्जन गांवों में युवाओं की टोली को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए प्रोत्साहित करते हैं जिससे गांवों में प्रेम भईचारा बना रहे। सदभाव कायम रहे व गांधी जी के सपनों का गांव बने।

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