प्रधानमंत्री सिचाई योजना में शामिल हुई दुर्गावती जलाशय परियोजना

रोहतास। जिले के दुर्गावती जलाशय कमांड क्षेत्र में हरियाली लौटेगी। हर खेत को पानी सुनिश्चित करने क

By JagranEdited By: Publish:Wed, 02 Oct 2019 06:07 PM (IST) Updated:Wed, 02 Oct 2019 06:07 PM (IST)
प्रधानमंत्री सिचाई योजना में शामिल हुई दुर्गावती जलाशय परियोजना
प्रधानमंत्री सिचाई योजना में शामिल हुई दुर्गावती जलाशय परियोजना

रोहतास। जिले के दुर्गावती जलाशय कमांड क्षेत्र में हरियाली लौटेगी। हर खेत को पानी सुनिश्चित करने को ले दुर्गावती जलाशय परियोजना प्रधानमंत्री सिचाई योजना में शामिल की गई है। देश के जिन पांच जलाशयों को इसमें शामिल किया गया है, उसमें दुर्गावती जलाशय परियोजना भी है। इस योजना में शामिल होने वाली बिहार का यह एकमात्र जलाशय परियोजना है। लगभग 45 वर्ष पूर्व तत्कालीन उप प्रधानमंत्री व सासाराम संसदीय क्षेत्र का जीवनपर्यंत प्रतिनिधित्व करने वाले जगजीवन राम ने इसकी आधारशिला रखी थी। उन्होंने इंद्रपुरी बराज पश्चिमी संयोजक नहर से उच्च स्तरीय नहर के निर्माण के बाद भी सिचाई से वंचित रोहतास व कैमूर जिलों के सिचाई से वंचित खेतों को सिचित करने को ले इसके निर्माण की परिकल्पना की थी, लेकिन उनके जीते जी यह परियोजना पूरी नहीं हो सकी थी। प्रधानमंत्री सिचाई योजना में दुर्गावती जलाशय शामिल:  दुर्गावती जलाशय परियोजना के प्रधानमंत्री सिचाई योजना में शामिल होने से अब हर खेतों तक पानी पहुंचाया जाएगा। जिन खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है, वहां पर ड्रॉप मोर क्राफ् के तहत 30 फीसद खेतों में सिचाई की व्यवस्था की जाएगी। नहर से पाइप लाइन के द्वारा हर खेतों तक पानी सुनिश्चित किया जाएगा। शेष बचे असिचित क्षेत्र में ड्रिप सिचाई के माध्यम से खेतों को सिचित किया जाएगा। हाल ही में सेवानिवृत हुए मुख्य अभियंता रामेश्वर चौधरी ने कहा कि इस योजना में शामिल कराना के लिए उनके द्वारा लगातार प्रयास किया गया। उनके कार्यकाल में ही इसे शामिल भी कर लिया गया। मंत्रालय तैयार कर रहा डाक्यूमेंट्री:

जल शक्ति मंत्रालय दुर्गावती जलाशय परियोजना पर डॉक्यूमेंट्री तैयार कर रहा है। केंद्र और राज्य सरकार इस परियोजना को अपनी बेहतर उपलब्धि मान रही है। जिसके लिए जल शक्ति मंत्रालय डॉक्यूमेंट्री फिल्म तैयार कर रहा है। इसमें अधिकारियों और क्षेत्र के किसानों के विचारों को शामिल किया जा रहा है । 45 वर्षो में दुर्गावती जलाशय ने लिया था मूर्तरूप:

1976 में तत्कालीन कृषि मंत्री व यहां के सांसद रहे जगजीवन राम ने करमचट गांव के समीप इस परियोजना की आधारशिला रखी थी। इसके बाद शुरू हुआ कार्य 30 वर्षों तक बंद रहा। कार्य प्रारंभ होने पर पर्यावरण का हवाला दे वन विभाग ने निर्माण कार्य पर आपत्ति जताई थी। राजनीतिक दांवपेंच में फंसे इस परियोजना के निर्माण के लिए वर्ष 2011 में वन विभाग ने एनओसी दिया। विभिन्न झंझावतों को झेलने के बाद 2012 में इस महत्वाकांक्षी परियोजना का कार्य प्रारंभ हुआ। 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने दुर्गावती जलाशय का उद्घाटन किया। 2015 में दुर्गावती जलाशय से किसानों के लिए दोनों तरफ नहरों में पानी तो छोड़ दिया गया, परंतु आजतक वितरणियों का कार्य पूरा नहीं किया जा सका है। जिससे व्यवस्थित तरीके से खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। खरीफ मौसम में तो किसी तरह एक खेत से दूसरे खेत होते हुए किसी तरह अधिकांश भागों में पानी पहुंच जा रहा है, परंतु रबी मौसम में इससे आजतक पानी नहीं पहुंच सका। नौ सौ करोड़ रुपये अबतक हुए हैं खर्च :

इस परियोजना के लिए 1064 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति सरकार द्वारा दी गई। जिसमें लगभग 900 करोड़ रुपए अबतक खर्च हो चुके हैं। कुदरा वियर और दुर्गावती जलाशय के बाएं व दाएं मुख्य नहरों के माध्यम से 32000 हेक्टेयर से अधिक भूमि को सिचित किया जाएगा। कुदरा वियर योजना 16.17 और दुर्गावती बाएं व दाएं नहर से 16 हजार हेक्टेयर भूमि की सिचाई होनी है।

कहते हैं अधिकारी: 

दुर्गावती जलाशय योजना का प्रधानमंत्री सिचाई योजना के तहत चयन कर लिया गया है। इस योजना में देश के पांच जलाशय को शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री सिचाई योजना में शामिल होने वाली यह बिहार की पहली परियोजना है। अब दुर्गावती जलाशय कमांड एरिया के हर खेतों को पानी मिलेगा। इस क्षेत्र में हरियाली आएगी और किसान खुशहाल होंगे।

सुनील कुमार

अधीक्षण अभियंता

दुर्गावती जलाशय परियोजना

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