तीन प्रखंडों में शुरू हुआ कालाजार रेसिड्यूअल स्प्रे

पूर्णिया। कालाजार की रोकथाम के लिए जिले में सिंथेटिक पाराथाइराइड घोल का छिड़काव शुरू हो

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Mar 2019 10:24 PM (IST) Updated:Tue, 26 Mar 2019 10:24 PM (IST)
तीन प्रखंडों में शुरू हुआ कालाजार रेसिड्यूअल स्प्रे
तीन प्रखंडों में शुरू हुआ कालाजार रेसिड्यूअल स्प्रे

पूर्णिया। कालाजार की रोकथाम के लिए जिले में सिंथेटिक पाराथाइराइड घोल का छिड़काव शुरू हो गया है। सोमवार से कालाजार छिड़काव जिले के तीन प्रखंडों में शुरू किया गया है। इसके लिए छिड़काव कर्मियों को दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया था। 2017 में इंडेमिक घोषित तीन प्रखंडों के चयनित गांवों में वाहक जनित रोग नियंत्रण विभाग द्वारा दवा का छिड़काव किया जा रहा है। कालाजार उन्मूलन के लिए रोग के वाहक मादा बालू मक्खी का अंत बहुत जरूरी होता है और इसके लिए स्प्रे काफी कारगर उपाय माना जाता है। 2017 में चयनित इंडेमिक प्रखंड धमदाहा, बीकोठी और जलालगढ़ हैं। तीनों प्रखंड के चिह्नित 1296 राजस्व ग्रामों में 60 कार्य दिवस में 40 सीनियर फील्ड वर्कर और 200 फील्ड वर्कर द्वारा छिड़काव काम पूरा किया जाएगा। इस दौरान करीब 3,709,258 आबादी को इस छिड़काव में कवर करने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी निगरानी के लिए सुपरवाजर की नियुक्ति भी की गई है।

अभी भी मिल रहे हैं मरीज

2018 में जिले में कालाजार रोग के 239 मरीज मिले थे। छिड़काव में एसपी घोल का इस्तेमाल किया जाता है। 2019 में 19 रोगी की पहचान हो चुकी है। कालाजार मादा बालू मक्खी के काटने से फैलता है। यह संक्रामक बीमारी है जो काफी तेजी से फैलती है। जिले में सबसे अधिक प्रभावित प्रखंड में बीकोठी, धमदाहा, के नगर, पूर्णिया पूर्व, बनमनखी और जलालगढ़ हैं।

सिंगल डोज से होता है इलाज

कालाजार की जांच दस मिनट में ऑन द स्पॉट हो जाती है। अगर कालाजार पॉजिटिव हुआ तो सिंगल डोज से मरीज को आराम मिल जाता है। अब एमबिसोमे नामक इंजेक्शन से सिंगल डोज में रोग का इलाज होता है। डब्ल्यूएचओ के सहयोग से सरकार यह दवा निशुल्क सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध कराती है।

कैसे फैलता है यह रोग

कालाजार विषाणु जनित रोग है जिसका संक्रमण मादा बालू मक्खी के जरिए धीरे-धीरे फैलता है। यह एक बार शरीर में प्रवेश करने पर इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है।

क्या है लक्षण

बार-बार बुखार का आना या फिर शरीर में हल्का बुखार हमेशा बने रहता है। भूख और वजन में लगातार कमी होना है। लीवर का आकार सामान्य से बड़ा हो जाता है। त्वचा में खुजली और जलन या फिर सूखापन इसके प्रमुख लक्षण है।

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