नशा के वैकल्पिक माध्यम की तलाश में जुटे नशेड़ी

पूर्णिया। एक अप्रैल से जारी पूर्णत शराबबंदी के बाद एक तरफ जहां पुलिस प्रशाशन शराब को पूर्णत बन्द कर

By Edited By: Publish:Tue, 26 Apr 2016 10:06 PM (IST) Updated:Tue, 26 Apr 2016 10:06 PM (IST)
नशा के वैकल्पिक माध्यम की तलाश में जुटे नशेड़ी

पूर्णिया। एक अप्रैल से जारी पूर्णत शराबबंदी के बाद एक तरफ जहां पुलिस प्रशाशन शराब को पूर्णत बन्द कर नशामुक्त समाज को स्थापित करने में लगे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ नशे के आदी लोगों ने नशा करने का एक नहीं कई तरह तरीका अपनाकर इस अभियान को मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं। इस बात का खुलासा तब हुआ जब अनुमंडल कार्यालय के सामने स्थित व्यापार मंडल कार्यालय परिसर, यूटीआई बैंक, धमदाहा हाट, मध्य विद्यालय धमदाहा हाट, बनमनखी रोड, उच्च विद्यालय क्रीड़ा मैदान समेत दर्जनों स्थानों पर प्रतिबंधित कफ सीरप, रंग में उपयोग होनेवाले थिनर समेत चिपकाने में उपयोग किये जाने वाले डेन्ट्राइट, साफिक्स, सुलेशन के दर्जनों खाली बोतल एवं रेपर फेंका हुआ मिला। ताजुब की बात तो यह है कि जो लोग शराब के आदी थे शराब बंद होने के बाद वे बड़ी तेजी से इन प्रतिबंधित पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। बुद्धिजीवियों ने बताया कि सरकार एवं स्वास्थ विभाग द्वारा कफ सीरप बेचने के सबंध में सख्त गाइडलाइन जारी होने के बावजूद दवा दुकानदार धड़ल्ले से कफ सीरफ की बिक्री युवा एवं स्कूली बच्चों को कर रहे हैं। इस मामले के सामने आने के बाद अभिभावकों की ¨चता काफी बढ़ गयी है। डा. प्रणव ¨सह बताते हैं कि इन पदार्थों का सेवन मानव शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है। इसके सेवन से आंत, फेफड़े आदि को क्षति पहुंचाता ही है लेकिन इसका सबसे बुरा असर मष्तिष्क पर होता है। इन पदार्थों के सेवन करने वाले लोग पहले तो मानसिक रूप से अक्षम हो जाते हैं एवं धीरे धीरे शरीर भी पूरी तरह से शिथिल होने लगता है। इसलिए इसके सेवन से लोगों को बचना चाहिये। इस बारे में पूछे जाने पर एसडीओ पवन कुमार मंडल ने बताया कि बड़ी संख्या में खाली बोतल फेंके जाने की उन्हें जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो यह एक गंभीर मामला है। इसके लिए सिविल सर्जन को पत्र लिखकर ऐसे दवा दुकानदारों पर कार्रवाई कराई जायेगी। प्रसाशन नशामुक्त समाज की स्थापना को लेकर प्रतिबद्ध है एवं इस दिशा में जो भी आवश्यक कार्रवाई जरूरी है वो की जाएगी।

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