सड़कों पर जाम छुड़ाने में ट्रैफिक पुलिस का छूटता पसीना, आम लोग भी हैं खूब जिम्‍मेदार

ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर यातायात पुलिस चालान तो काटती है लेकिन तमाम ऐसी समस्याएं हैं जो उसकी राह में रोड़ा हैं। नवंबर में पटना के ट्रैफिक एसपी ने वसूली की शिकायत पर बड़ी कार्रवाई करते हुए एक साथ 46 जवानों को निलंबित कर दिया

By Edited By: Publish:Sun, 29 Nov 2020 06:00 AM (IST) Updated:Sun, 29 Nov 2020 06:00 AM (IST)
सड़कों पर जाम छुड़ाने में ट्रैफिक पुलिस का छूटता पसीना, आम लोग भी हैं खूब जिम्‍मेदार
संसाधनों की कमी से मुश्किल होता ट्रैफिक को नियंत्रित करना। जागरण

पटना, जेएनएन। ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर यातायात पुलिस चालान तो काटती है, लेकिन तमाम ऐसी समस्याएं हैं जो उसकी राह में रोड़ा हैं। नवंबर में पटना के ट्रैफिक एसपी ने वसूली की शिकायत पर बड़ी कार्रवाई करते हुए एक साथ 46 जवानों को निलंबित कर दिया, इसके बाद वसूली की शिकायत तो कम हो गई, लेकिन संसाधन और सड़कों की खामियां ट्रैफिक पुलिस के लिए सिददर्द बनी हुई हैं। पुलिस को चौराहों पर जाम छुड़ाने में हो रही परेशानी उसे कमजोर भी कर रही है।

सिग्नल के नाम पर बर्बाद हो गये आठ करोड़ रुपये

2015 में बुडको ने नीदरलैंड की कंपनी को 24.45 करोड़ की लागत से शहर के 97 स्थानों पर सिग्नल लगाने का काम दिया। एक सिग्नल पर 25 लाख रुपये खर्च हुए। निगरानी के लिए कंट्रोल रूम बना। सिग्नल को 160 सीसी कैमरे से जोड़ा गया। इन सबकी देखभाल का जिम्मा एक निजी एजेंसी को दिया गया पर दो साल बाद ही 14 सिग्नल को उखाड़कर हटा दिया गया। ये सिग्नल कहां गए,कोई बताने को तैयार नहीं। आठ करोड़ की बर्बादी हुई है। पिछले 20 माह से सिग्नल की देखरेख करने वाली एजेंसी का नवीनीकरण तक नहीं हुआ। इससे कई कैमरे खराब हो गए तो कुछ जगह सिग्नल बुझ गए। एक दर्जन से अधिक चौराहों पर सिग्नल बंद होने के बाद ट्रैफिक बेहाल है।

मैन पावर की कमी नहीं

पद- स्वीकृत बल- उपलब्ध बल- रिक्त

ट्रैफिक एसपी- एक- एक- 00

डीएसपी- तीन- तीन- 00

परिचारी प्रवर- एक- 00- 01

पुलिस निरीक्षक- दो- दो- 00

पुलिस अवर निरीक्षक- 53- 68- 00

सहायक अवर निरीक्षक- 33- 81- 00

हवलदार- 76- 39- 37

सिपाही- 661- 616- 45

होमगार्ड जवान- 400- 325- 75

अस्थाई जवान- 00- 127- 00

इसलिए परेशान है ट्रैफिक पुलिस

ट्रैफिक पुलिस के एक अधिकारी बताते हैं कि बल की कमी नहीं है। लेकिन, कई कमियां हैं, जिनपर हमारा जोर नहीं चलता है। स्टेशन गोलंबर पर अनफिट वाहन और किसे कहां के लिए परमिट मिला है, इसे देखने वाला कोई नहीं। ऑटो स्टैंड भी नहीं है। ई-रिक्शा चालक जहां तहां स्टैंड बनाते जा रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या शहर में पार्किंग की है। अधिकांश मुख्य मार्ग ऐसे हैं, जहां पार्किंग ही नहीं है। शहर के कई प्रमुख जगहों पर ओवरब्रिज और सड़क निर्माण कार्य, पाइपलाइन के लिए गड्डा खोदना और जगह-जगह कट भी बड़ी समस्या है।

क्रेन की कमी, जर्जर वाहन

दो साल पूर्व शहर में गलत पार्किंग करने वाले वाहनों को जाम बस्टर उठाती थी। लेकिन, इसमें धांधली की शिकायत आने पर जाम बस्टर पर रोक लगा दी गई। इसके बाद ट्रैफिक पुलिस अपनी क्रेन से ऐसे वाहनों को जब्त करने लगी। क्रेन की संख्या कम है। साथ ही ट्रैफिक थानों मे मिली गाड़ी भी जर्जर हो चुकी हैं। कई थानों में तो 20 साल पुरानी जीप का इस्तेमाल होता है।

कहते हैं अधिकारी

ट्रैफिक एसपी अमरकेश डी का कहना है कि सभी चौक-चौराहे पर जवानों की तैनाती है। यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई भी करती है। कहीं उगाही की शिकायत मिली तो कार्रवाई में देर नहीं होगी। जो कमियां हैं उसे दूर करने के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा जा रहा है।

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