तेजस्वी का बंगला विवाद, नीतीश के मंत्री ने कहा-शर्म नहीं आती, अब तो मोह छोड़ दीजिए

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी के बंगले को लेकर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने दायर याचिका को रद कर दिया है जिसके बाद राज्य के भवन निर्माण मंत्री ने कहा है कि-उन्हें तो शर्म आनी चाहिए।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Sat, 09 Feb 2019 09:46 AM (IST) Updated:Sat, 09 Feb 2019 12:01 PM (IST)
तेजस्वी का बंगला विवाद, नीतीश के मंत्री ने कहा-शर्म नहीं आती, अब तो मोह छोड़ दीजिए
तेजस्वी का बंगला विवाद, नीतीश के मंत्री ने कहा-शर्म नहीं आती, अब तो मोह छोड़ दीजिए

पटना, राज्य ब्यूरो। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को सुप्रीम कोर्ट से बंगला खाली कराने का आदेश होने के बाद सरकार भी सख्त हो गई। भवन निर्माण मंत्री महेश्वर हजारी ने तेजस्वी को अल्टीमेटम देने के अंदाज में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सौ फीसद पालन होगा।

सप्ताह भर में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को बंगला खाली कर देना होगा। पहले ही पटना हाईकोर्ट द्वारा उन्हें बंगला खाली कराने का आदेश दिया गया था, लेकिन वे लोक लाज धोकर बंगले में जमे रहे। 18 माह से वे वहां कब्जा जमाए हुए हैं।

जिलाधिकारी को बंगला खाली कराने का आदेश पहले से ही दिया हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब नेता प्रतिपक्ष के पास कोई बहाना नहीं बचा है। वे खुद ही बंगला खाली कर दें अन्यथा जिला प्रशासन बंगला खाली कराने की कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है।

मंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तेजस्वी यादव को बंगला खाली कराने के आदेश की प्रति आने पर उसका अवलोकन भी करेंगे। नेता प्रतिपक्ष पर 50 हजार रुपये का जो जुर्माना लगाया गया है, उसे भी उन्हें जमा कराना होगा।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर जिला प्रशासन द्वारा बंगला खाली कराने की कार्रवाई सुनिश्चित करायी जाएगी। जरूरत पड़ी तो न्यायसंगत कार्रवाई भी होगी। 

2016 से बंगले में हैं तेजस्वी 

मंत्री महेश्वर हजारी ने बताया कि महागठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे तेजस्वी यादव को जनवरी 2016 में बंगला आवंटित किया गया था तब वे खुद ही भवन निर्माण विभाग के भी मंत्री थे। जुलाई 2017 में महागठबंधन से अलग होकर भाजपा-लोजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनी तब मंत्रियों के लिए नये सिरे से बंगले आवंटित किए गए।

तेजस्वी को प्रतिपक्ष के नेता की हैसियत से पोलो रोड में बंगला आवंटित किया गया था पर वे नहीं गए। बंगले का लोभ और उस पर कब्जा नहीं छोडऩे की जिद करते हुए नेता प्रतिपक्ष हाईकोर्ट चले गए पर वहां उन्हें राहत नहीं मिली।

इस बीच जिला प्रशासन ने बंगला खाली कराने का प्रयास किया तो नेता प्रतिपक्ष संविधान का गला घोंटते हुए सुप्रीम कोर्ट चले गए, जहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी है।  

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