कर्नाटक इफेक्ट: बिहार में RJD ने राज्यपाल को दी 111 MLAs की लिस्ट, कहा- हमें बनाने दें सरकार
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कर्नाटक की तर्ज पर बिहार में महागठबंधन सरकार बनाने का दावा किया है। इसे लेकर उन्होंने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की।
पटना [राज्य ब्यूरो]। भाजपा विरोधी दलों ने कर्नाटक की तर्ज पर बिहार में भी सरकार बनाने का दावा पेश किया है। राजद नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में गठबंधन के विधायकों ने शुक्रवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिलकर सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राजद को अवसर देने की मांग की। इस दौरान राज्यपाल को 111 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा गया। इसके पहले कर्नाटक मुद्दे पर राजद ने धरना-प्रदर्शन कर विरोध जताया।
राजभवन से निकलने के बाद तेजस्वी ने पत्रकारों से कहा कि राज्यपाल ने अगर मौका दिया तो सदन में बहुमत भी साबित कर देंगे। तेजस्वी ने दावा किया उनके साथ राजद, कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) एवं भाकपा (माले) के विधायक तो हैं ही, जदयू के भी कई विधायक संपर्क में हैं। राजग पहले भी कई बार टूट चुका है। जीतनराम मांझी ने गठबंधन बदल लिया है। सरफराज आलम ने जदयू छोड़कर राजद का दामन थाम लिया है। इसके पहले भी शरद यादव एवं उदय नारायण चौधरी जैसे कई वरिष्ठ नेता पार्टी नेतृत्व की कार्यप्रणाली से खफा होकर जदयू छोड़ चुके हैं। तेजस्वी ने कहा कि जदयू नेताओं में असुरक्षा की भावना है। वे अभी खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं, लेकिन महागठबंधन की सरकार बनी तो सदन में वे हमारा साथ देंगे।
राज्यपाल के निर्णय का इंतजार
तेजस्वी ने दावा किया कि राज्यपाल ने विचार करने के बाद जानकारी देने की बात भी कही है। अब वह राज्यपाल के निर्णय का इंतजार करेंगे। इसके बाद ही आगे की रणनीति तय करेंगे। तेजस्वी हालांकि यह नहीं बता पाए कि राज्यपाल अपने निर्णय से उन्हें कबतक अवगत कराएंगे, किंतु इतना कहा कि कर्नाटक में जिस फार्मूले के तहत सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का मौका दिया गया है तो बिहार में उसी फार्मूले के आधार पर राजद को मौका क्यों नहीं दिया जाएगा?
तेजस्वी के साथ प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी एवं प्रेमचंद मिश्रा, हम के दानिश रिजवान, राजद के तेजप्रताप यादव, आलोक मेहता एवं शिवचंद्र राम समेत कई विधायक मौजूद थे।
कैसे करेंगे बहुमत का जुगाड़
अभी जोकीहाट की एक सीट खाली होने के कारण बिहार विधानसभा में सदस्यों की संख्या 242 है। बहुमत के लिए कम से कम 122 विधायकों की दरकार होगी। अभी राजद, कांग्र्रेस, हम और माले को मिलाकर तेजस्वी के पक्ष में कुल 111 विधायक हैं। बहुमत से 11 विधायक कम।
तेजस्वी ने दावा किया है कि जदयू में असुरक्षा की भावना के चलते कई विधायक उनके संपर्क में हैं। उन्होंने दोहराया कि बहुत आसानी से बहुमत का जुगाड़ कर लेंगे। राज्यपाल ने अगर पहले उन्हें मौका दिया होता तो वे पर्याप्त संख्या जुटा लेते। किंतु पूर्ववर्ती राज्यपाल ने उन्हें मौका नहीं दिया।
राजभवन से निकलने के बाद तेजस्वी ने पत्रकारों से कहा कि राज्यपाल ने अगर मौका दिया तो सदन में बहुमत भी साबित कर देंगे। तेजस्वी ने दावा किया उनके साथ राजद, कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) एवं भाकपा (माले) के विधायक तो हैं ही, जदयू के भी कई विधायक संपर्क में हैं। राजग पहले भी कई बार टूट चुका है। जीतनराम मांझी ने गठबंधन बदल लिया है। सरफराज आलम ने जदयू छोड़कर राजद का दामन थाम लिया है। इसके पहले भी शरद यादव एवं उदय नारायण चौधरी जैसे कई वरिष्ठ नेता पार्टी नेतृत्व की कार्यप्रणाली से खफा होकर जदयू छोड़ चुके हैं। तेजस्वी ने कहा कि जदयू नेताओं में असुरक्षा की भावना है। वे अभी खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं, लेकिन महागठबंधन की सरकार बनी तो सदन में वे हमारा साथ देंगे।
राज्यपाल के निर्णय का इंतजार
तेजस्वी ने दावा किया कि राज्यपाल ने विचार करने के बाद जानकारी देने की बात भी कही है। अब वह राज्यपाल के निर्णय का इंतजार करेंगे। इसके बाद ही आगे की रणनीति तय करेंगे। तेजस्वी हालांकि यह नहीं बता पाए कि राज्यपाल अपने निर्णय से उन्हें कबतक अवगत कराएंगे, किंतु इतना कहा कि कर्नाटक में जिस फार्मूले के तहत सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का मौका दिया गया है तो बिहार में उसी फार्मूले के आधार पर राजद को मौका क्यों नहीं दिया जाएगा?
तेजस्वी के साथ प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी एवं प्रेमचंद मिश्रा, हम के दानिश रिजवान, राजद के तेजप्रताप यादव, आलोक मेहता एवं शिवचंद्र राम समेत कई विधायक मौजूद थे।
कैसे करेंगे बहुमत का जुगाड़
अभी जोकीहाट की एक सीट खाली होने के कारण बिहार विधानसभा में सदस्यों की संख्या 242 है। बहुमत के लिए कम से कम 122 विधायकों की दरकार होगी। अभी राजद, कांग्र्रेस, हम और माले को मिलाकर तेजस्वी के पक्ष में कुल 111 विधायक हैं। बहुमत से 11 विधायक कम।
तेजस्वी ने दावा किया है कि जदयू में असुरक्षा की भावना के चलते कई विधायक उनके संपर्क में हैं। उन्होंने दोहराया कि बहुत आसानी से बहुमत का जुगाड़ कर लेंगे। राज्यपाल ने अगर पहले उन्हें मौका दिया होता तो वे पर्याप्त संख्या जुटा लेते। किंतु पूर्ववर्ती राज्यपाल ने उन्हें मौका नहीं दिया।