फ्रेंडशिप डे: कुछ दोस्‍त ऐसे जो सदियों से हैं दोस्‍ती की मिसाल, जानिए

आज फ्रेंडशिप डे को यूथ्‍स सेलिब्रेट कर रहे हैं। लेकिन दोस्‍ती की यह परंपरा अति प्राचीन है। श्रीराम व सुग्रीव, सीता व त्रिजटा तथा कृष्‍ण व सुदामा की दोस्‍ती इसकी मिसाल हैं।

By Amit AlokEdited By: Publish:Sun, 06 Aug 2017 02:46 PM (IST) Updated:Sun, 06 Aug 2017 11:26 PM (IST)
फ्रेंडशिप डे: कुछ दोस्‍त ऐसे जो सदियों से हैं दोस्‍ती की मिसाल, जानिए
फ्रेंडशिप डे: कुछ दोस्‍त ऐसे जो सदियों से हैं दोस्‍ती की मिसाल, जानिए

पटना [अमित आलोक]। फ्रेंडशिप डे को सेलिब्रेट करना भले ही आज मॉर्डन ट्रेंड हो, लेकिन दोस्‍ती की यह परंपरा प्राचीन है। कृष्‍ण-सुदामा व राम-सु्ग्रीव से लेकर अकबर-बीरबल तक कई ऐसे उदाहरण हैं, जिनकी दोस्‍ती की आज भी चर्चा होती है। भारत के इतिहास व अनुश्रुतियों में दर्ज ऐसी ही कुछ दोस्‍ती पर डालते हैं एक नजर...

श्रीराम- सुग्रीव की दोस्ती
माता सीता का रावन ने जब हरण कर लिया तो उन्‍हें खोजते हुए श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण के साथ ऋष्यमूक पर्वत पर पहुंचे। वहां श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता हुई। मित्रता को निभाते हुए भगवान श्रीराम ने बाली का वध करके सुग्रीव को किष्किन्धा का राजा बनाया। सुग्रीव ने भी मित्रता का परिचय देते हुए वानर सेना को सीता की खोज में भेजा।

सीता-त्रिजटा की दोस्ती
माता सीता को रावण ने अशोक वाटिका में रखा। वहां उनकी सेवा के बहाने उनपर नजर रखने के लिए रावन ने राक्षसी त्रिजटा को तैनात किया था। लेकिन, त्रिजटा और सीता के बीच दोस्‍ती हो गई। उस दौरान कई बार निराश सीता काे त्रिजटा ने सहारा दिया।

कृष्ण-सुदामा की दोस्ती
कृष्ण धनवान थे तो सुदामा एक गरीब ब्राह्मण थे। सुदामा उम्र में बड़े थे तो कृष्ण छोटे थे। दोनों में कोई समानता नहीं थी, लेकिन दोस्‍ती अटूट थी। यह दोस्‍ती बाल्‍य काल में शिक्षा ग्रहण के दौरान परवान चढ़ी। शिक्षा ग्रहण के बाद दोनों जुदा हो गए। आगे कृष्ण द्वारिकाधीश हो गए, लेकिन सुदामा को नहीं भूले।

अकबर-बीरबल की दोस्ती
मुगल बादशाह अकबर और उनके मंत्री बीरबल की दोस्ती के चर्चे भी खुब रहे हैं। अकबर उनके गुणों के कायल थे तथा उनपर भरोसा करते थे। बीरबल अपनी बुद्धिमानी और समझदारी के कारण अकबर के खास रहे।
 

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