खून के कारोबार का सनसनीखेज खुलासा, दूसरों की बचाई जिंदगी, खुद मोहताज

जिस व्‍यक्ति ने खून बेचकर दूसरों की जिंदगी बचाई, आज वह खुद मोहताज है। बिहार के बड़े सरकारी अस्‍पताल एनएमसीएच में चल रहे खून के कारोबार का सनसनीखेज खुलासा हुआ है।

By Ravi RanjanEdited By: Publish:Sun, 06 May 2018 07:42 PM (IST) Updated:Tue, 08 May 2018 11:38 PM (IST)
खून के कारोबार का सनसनीखेज खुलासा, दूसरों की बचाई जिंदगी, खुद मोहताज
खून के कारोबार का सनसनीखेज खुलासा, दूसरों की बचाई जिंदगी, खुद मोहताज

पटना [जेएनएन]। कैंसर पीडि़त पत्नी के इलाज एवं पांच बच्चों की परवरिश के लिए जब मेहनत से की जाने वाली कमाई कम पड़ी तो संतोष ने अपने शरीर के खून का हर एक बूंद बेचना शुरू कर दिया। खून बेच कर दूसरों की जिंदगी बचाने और रुपये कमाने का यह सिलसिला सालों चला। यह सब कुछ सूबे के दूसरे बड़े नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में होता रहा। इसमें यहां के कर्मियों की भी मिलीभगत रही।

खून के चल रहे इस काले कारोबार की भनक अस्पताल प्रशासन से लेकर डॉक्टरों व कर्मियों तक तो थी लेकिन कार्रवाई की दिशा में कोई एक कदम नहीं चला। खून देकर दर्जनों की जिंदगी बचाने वाला संतोष आज अपने लिए एक यूनिट खून का मोहताज बना अस्पताल के बेड पर पड़ा है।

हाजीपुर स्थित रामाशीष चौक निवासी 35 वर्षीय संतोष मेहता एनएमसीएच के हड्डी रोग विभाग स्थित वार्ड में बेड संख्या 35 पर डॉ. एन के सिंह की यूनिट में ग्यारह दिनों से भर्ती है। उसने बताया कि पैर पर वाहन चढ़ जाने के कारण उसके दाहिने पैर की अंगुलियां चूर हो गई हैं। डॉक्टर ने शनिवार को ऑपरेशन कर पैर की अंगुलिया काट अलग करने के लिए कहा था।  इसके लिए खून की जरूरत है लेकिन कोई खून देने को तैयार नहीं है।

आज भी खून का सौदा जारी, एक हजार में एक यूनिट

संतोष ने बताया कि कैंसर पीडि़त पत्नी मुन्नी देवी के इलाज और दो बेटा व तीन बेटियों का पेट पालने के लिए एनएमसीएच में यहां के कर्मियों की मिलीभगत से अपना खून बेचना शुरू किया। संतोष ने चौकाने वाला खुलासा किया कि अस्पताल में सक्रिय दलालों के माध्यम से खून का सौदा आज भी हो रहा है। एक यूनिट खून देने पर मुझे एक हजार रुपया दिया जाता था। मैं पेंटर का काम करता था। इतने से परिवार का गुजारा नहीं हो पाता था। कैंसर से पत्नी मर गई। बच्चों का भविष्य अंधकार में है। बच्चों की परवरिश के लिए मुझे दूसरी शादी करनी पड़ी।

विभागाध्यक्ष पहुंचे, नहीं हुआ ऑपरेशन

संतोष का हाल जानने के लिए शनिवार की सुबह वार्ड में हड्डी रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. एस के सिन्हा पहुंचे। मरीजों व परिजनों ने उन्हें गैस व दर्द तक की दवाइयां अस्पताल से नहीं मिलने की शिकायत किया। संतोष ने खून और दवाइयां नहीं मिलने तथा ऑपरेशन नहीं होने की बात कही। पैर की अंगुलियों से बदबू आने की बात परिजन कर रहे थे। मौजूद नर्सों ने कहा कि अस्पताल से जो दवाइयां मिलती हैं वह मरीज को दी जाती हैं। जो उपलब्ध नहीं होती वह दवाइयां हम कहां से दें?

प्रोफेशनल डोनर को खुद करना होगा इंतजाम

इस पूरे मामले पर अधीक्षक डॉ. आनंद प्रसाद सिंह एवं ब्लड बैंक विभाग के अध्यक्ष डॉ. सी के नारायण का पक्ष जानने पर उन्होंने कहा कि संतोष पटेल प्रोफेशनल ब्लड डोनर है। लंबे समय से वह अपना खून बेच रहा था। ऑपरेशन के लिए आवश्यक ए पोजीटिव खून का इंतजाम उसे खुद करना होगा।

डॉ. नारायण ने कहा कि अधीक्षक ने संतोष को फ्री ब्लड देने के लिए लिखा है लेकिन केवल इमरजेंसी मरीज को ही मुफ्त ब्लड दिया जा सकता है। इसे ब्लड लेना है तो डोनर लाना होगा। वहीं संतोष ने बताया कि उसने ब्लड देने के लिए अपने पिता को लाया था लेकिन इनका खून लेने से इनकार कर दिया गया। मुझे खून देने के लिए मेरे पास अब कोई और आदमी नहीं है।

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