Rath Yatra 2022: पटना में 40 फीट ऊंचे रथ पर निकली भगवान जगन्नाथ की सवारी, रथ यात्रा में उमड़े श्रद्धालु
Rath Yatra 2022 बिहार की राजधानी पटना में इस्कान मंदिर की ओर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गई। बुद्ध मार्ग से निकली रथ यात्रा में बड़े पैमाने पर श्रद्धालु शामिल हुए। कोरोना के कारण पिछले दो साल से यह आयोजन बंद था।
जागरण संवाददाता, पटना। जय जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की जय। हरे कृष्णा, हरे राम, राम-राम हरे-हरे..., शुक्रवार को राजधानी की विभिन्न सड़कें भगवान जगन्नाथ के जयकारे से गूंजती रहीं। पूरी आस्था के साथ सड़कों पर भगवान जगन्नाथ की सवारी निकली। बुद्ध मार्ग स्थित इस्कान मंदिर की ओर से दो वर्ष बाद भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शामिल होने के लिए दोपहर 12 बजे से ही भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। कोलकाता से मंगाए फूलों से सुसज्जित 40 फीट ऊंचे हाइड्रोलिक रथ पर भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलदेव और बहन सुभद्रा विराजमान थीं।
बिजली के तारों से बचाने के लिए रथ को 16 फीट तक नीचे-ऊपर किया जा सकता था। रथ यात्रा में श्रद्धालुओं की भीड़ के साथ हाथी-घोड़े व ऊंट रथयात्रा में चार-चांद लगा रहे थे। यात्रा में देश-विदेश के अलग-अलग हिस्सों से आए भक्तों की टोली वाद्य-यंत्रों को बजाते हुए शहर को भक्तिमय कर रही थी।
दोपहर साढ़े तीन बजे विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा, पूर्व मंत्री श्याम रजक, पाटलिपुत्र विवि के कुलपति प्रो. आरके सिंह, लोक प्रकाश सिंह, कमल नोपानी, सुनील कुमार सिन्हा आदि गणमान्य लोगों ने भगवान जगन्नाथ की आरती व पूजा-अर्चना की। बिहार विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि भगवान जगन्नाथ बिहार की सुख-समृद्धि को बनाए रखें। इस्कान मंदिर पटना के अध्यक्ष कृष्ण कृपा दास ने कहा कि दो वर्ष बाद भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण को निकले हैं। कोरोना संक्रमण के कारण दो वर्ष तक भव्य रथयात्रा नहीं निकली थी। कृष्ण कृपा दास ने कहा कि 2000 से भव्य तरीके से भगवान की रथ-यात्रा निकलती रही है।
विभिन्न चौक-चौराहे होते हुए गुजरी रथयात्रा
बुद्ध मार्ग स्थित इस्कान मंदिर से आरंभ होकर भगवान जगन्नाथ की रथ-यात्रा विभिन्न चौक-चौराहे होते हुए गुजरी। तारामंडल, कोतवाली, डाकबंगला चौराहा, गांधी मैदान, एक्जीविशन रोड होते हुए शाम छह बजे इस्कान मंदिर रथ-यात्रा पहुंची। मंदिर पहुंचने के बाद भगवान की आरती होने के साथ श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद-वितरण किया गया।