रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने वाले पटना के कई बड़े अस्पताल पुलिस और ईओयू के निशाने पर
ईओयू की टीम ने जब गिरफ्तार एमआर से पूछताछ शुरू की तो उसने कुछ और अस्पताल के कर्मियों व पदाधिकारियों का नाम लिया। पुलिस उसके मोबाइल को भी जब्त कर ली है। इसमें कुछ नामी अस्पताल के लोगों का भी नाम है।
पटना, जागरण संवाददाता। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले एजेंट, रेनबो अस्पातल के डायरेक्टर और एमआर की गिरफ्तारी के बाद ईओयू और पुलिस के निशाने पर शहर के आधा दर्जन से अधिक निजी अस्पताल हंै। इसमें कुछ नामी अस्पताल का भी नाम सामने आया है, जहां से पकड़े गए एमआर का कनेक्शन मिला है। उसने पूछताछ में कई अहम राज उगले हैं। रेनबो फार्मा नाम से इंजेक्शन खरीदने के बाद उसे उसी अस्पताल में मरीज के नाम पर दूसरे को बेच दिया जा रहा था। स्टाक के मुताबिक जो सबूत मिले हैं, उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि चंद दिनों में 15 से 20 लाख रुपये की कालाबाजारी हो चुकी है।
मृतक के नाम पर भी बेच देते थे इंजेक्शन
एजेंट अल्ताफ अस्पताल के डायरेक्टर का साला है। सूत्रों की मानें तो अल्ताफ कई लोगों के संपर्क में था। जरूरतमंद जैसे ही उसके संपर्क में आते थे, वह अस्पताल के डायरेक्टर से इंजेक्शन की डिमांड कराता था। डिमांड के मुताबिक एजेंट तक इंजेक्शन पहुंच रहा था। जिसे 50 से 60 हजार रुपये में बेच दिया जाता है। सूत्रों की मानें तो अस्पताल में भर्ती मरीज या मृतक के नाम पर भी कालाबाजारी कर दी जाती थी। जिसका जिक्र स्टाक रजिस्टर में भी दर्ज कर दिया जाता है। ताकि ऑडिट में कोई गड़बड़ी नहीं मिले।
50 इंजेक्शन बेचने के पुख्ता प्रमाण मिले हैं ईओयू को एमआर से पूछताछ के बाद सामने आए कई और नामईओयू की टीम कई लोगों को कर रही सर्च
ईओयू की टीम ने जब गिरफ्तार एमआर से पूछताछ शुरू की तो उसने कुछ और अस्पताल के कर्मियों व पदाधिकारियों का नाम लिया। पुलिस उसके मोबाइल को भी जब्त कर ली है। इसमें कुछ नामी अस्पताल के लोगों का भी नाम है। पुलिस और ईओयू अब वहां के पदाधिकारी के घर कभी भी दबिश दे सकती है। कुछ जगहों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन को डंप किया गया है।