शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन भी विपक्ष का हंगामा, राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग

बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र का अंतिम दिन भी विपक्षी पार्टियाें के हंगामे के बीच बीत गया। पूरे सत्र के दाैरान सदन के अंदर-बाहर विपक्ष ने जमकर धरना-प्रदर्शन किया।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Fri, 30 Nov 2018 01:36 PM (IST) Updated:Sat, 01 Dec 2018 08:24 AM (IST)
शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन भी विपक्ष का हंगामा, राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग
शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन भी विपक्ष का हंगामा, राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग

पटना, जेएनएन। बिहार विधानमंडल से शीतकालीन सत्र का शुक्रवार को समापन हो गया। अंतिम दिन भी विपक्ष का हंगामा जारी रहा। विपक्ष ने कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति, सीबीआइ के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया तथा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की।
विधानसभा और विधानपरिषद में राजद, भाकपा माले और कांग्रेस के सदस्यों ने सुबह से ही गेट पर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। हंगामे के दौरान सदन की कार्यवाही अंतिम दिन भी बाधित होती रही।

शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन भी प्रश्नकाल हंगामे की भेंट चढ़ गया। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने जैसे ही प्रश्नकाल आरंभ किए जाने की बात कही कि कांग्रेस के विधायक सूखे के सवाल पर पोस्टर लेकर वेल में आ गए। कांग्रेस की ओर से सूखे के सवाल पर ध्यानाकर्षण दिया गया था। कांग्रेस के वेल में आते ही उन्हें राजद विधायकों का साथ मिल गया। नारेबाजी और तेज हो गयी। इसी दौरान भाकपा (माले) के विधायक पश्चिम चंपारण में गरीबों को गैरमजरूआ जमीन से बेदखल किए जाने के सवाल पर वेल में आ गए।
विधानसभा अध्यक्ष ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कई बार अपील की कि वे प्रश्नकाल चलने दें। इसी दौरान संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार भी उठे। उन्होंने कहा कि सरकार विपक्ष के सारे प्रश्नों का जवाब देने को तैयार है। विपक्ष में जवाब सुनने की हिम्मत नहीं है। विपक्ष के शोर के बीच ही संसदीय कार्य मंत्री अपनी बात करते रहे। आखिरकार विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही भोजनावकाश तक के लिए स्थगित कर दी।
विधानसभा की कार्यवाही आरंभ होने के पूर्व ही कांग्रेस और भाकपा (माले) के विधायकों ने अपने प्रश्न पर विधानसभा के बाहर पोस्टर के साथ प्रदर्शन किया। कांग्रेस का कहना था कि सरकार ने सूखे का ऐलान तो कर दिया है पर किसानों को राहत नहीं मिल रही है। इस मसले पर वह चर्चा कराना चाहते थे पर सरकार तैयार नहीं हुई।
भाकपा (माले) की ओर से लाए गए कार्यस्थगन प्रस्ताव में यह कहा गया था कि पश्चिम चंपारण के चिउंटहा में प्रशासन के लोगों द्वारा विगत तीस वर्षों से गैरमजरूआ जमीन पर रह रहे 343 गरीब परिवारों को बेदखल किया जा रहा है। सदन में इस मुद्दे पर विशेष बहस होनी चाहिए।
सोमवार से आरंभ हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पांच दिनों में एक दिन भी प्रश्नकाल नहीं चला। प्रश्नकाल के समय ही सदन की कार्यवाही भोजनावकाश तक के लिए स्थगित हो जाने की वजह से न तो शून्य काल हुआ और न ही किसी ध्यानाकर्षण पर ही चर्चा हुई।

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