अब बिहार पहुंचा सूर्य नमस्कार का मामला, इमारत ए शरिया के नाजिम ने मुस्लिम छात्रों से की ये अपील
इमारत-ए-शरिया बिहार ओडिशा एवं झारखंड के कार्यवाहक नाजिम मौलाना मुफ्ती मुहम्मद सनाउल हुदा कासमी ने बुधवार को कहा कि छात्रों को सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) करने के लिए मजबूर करना संविधान का उल्लंघन है। यह भाजपा की साजिश है।
फुलवारीशरीफ (पटना), संवाद सूत्र। इमारत-ए-शरिया बिहार, ओडिशा एवं झारखंड के कार्यवाहक नाजिम मौलाना मुफ्ती मुहम्मद सनाउल हुदा कासमी ने बुधवार को कहा कि छात्रों को सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) करने के लिए मजबूर करना संविधान का उल्लंघन है। मौलाना ने यहां जारी बयान में कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जिसका संविधान धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर आधारित है। इसका अर्थ है कि इस देश में किसी एक धर्म को संवैधानिक और कानूनी तौर पर प्राथमिकता नहीं दी जाएगी। देश के हर नागरिकों को अपना धर्म और आस्था चुनने और अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करने की स्वतंत्रता होगी।
देश को भगवा में रंगने की हो रही कवायद
केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने पूरे देश को भगवा रंग में रंगने की कवायद शुरू कर दी है। इस एजेंडे को पूरा करने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को पूरे देश में लागू करने का फैसला किया, जो पूरी तरह से हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व है और प्राचीन रूढ़ीवादी परंपराओं पर आधारित है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में की गई सिफारिशों को लागू करने का काम शुरू हो गया है। एक जनवरी से 30 राज्यों के लगभग 30,000 स्कूलों में सूर्य नमस्कार शुरू करने और गणतंत्र दिवस पर छात्रों द्वारा सूर्य नमस्कार के कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय उसकी एक कड़ी है।
संविधान के मूल मूल्यों का उल्लंघन
मुफ्ती ने कहा कि सरकार का यह कदम संविधान के मूल मूल्यों का पूर्ण उल्लंघन है और मुस्लिम छात्रों के लिए अस्वीकार्य है। एक मुसलमान अल्लाह के अलावा किसी भी जीवित या निर्जीव वस्तु की पूजा नहीं कर सकता। सूर्य को नमस्कार करना सूरज की पूजा करने के ही समान है। मौलाना ने सरकार से इस आदेश को तुरंत वापस लेने और स्कूलों में इसे लागू करने से परहेज करने की मांग की है। मुस्लिम छात्रों से अपील की है कि यदि उनके स्कूलों में सूर्य नमस्कार का कार्यक्रम होता है तो वे इस तरह के किसी भी समारोह में शामिल न हों।