राजधानी में दो सीटें मगर पांच दशक से महिलाओं को नहीं मिली नुमाइंदगी

चुनाव के दौरान राजधानी में महिलाओं की पैरोकारी के हिमायतियों की असलियत दिख जाती है। पटना की दोनों सीटों से जीतकर अब तक सिर्फ चार बार कोई महिला सांसद दिल्ली का सफर तय कर सकी है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Fri, 29 Mar 2019 09:55 AM (IST) Updated:Fri, 29 Mar 2019 09:55 AM (IST)
राजधानी में दो सीटें मगर पांच दशक से महिलाओं को नहीं मिली नुमाइंदगी
राजधानी में दो सीटें मगर पांच दशक से महिलाओं को नहीं मिली नुमाइंदगी

लवलेश कुमार मिश्र, पटना। आधी आबादी को 33 फीसद आरक्षण दे हर जगह उनकी पैरोकारी के हिमायती राजनीतिक दलों की असलियत लोकसभा चुनाव में जगजाहिर हो जाती है। दलों की ओर से महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की भले पुरजोर वकालत की जाती हो, पर चुनाव में उनकी उम्मीदवारी की बात आते ही वो बगले झांकने लगते हैं। शायद इसी कारण राजधानी के मतदाता भी महिलाओं को अपनी नुमाइंदगी देने में संकोच करते हैं। यही वजह रही कि पटना की दोनों सीटों (पाटलिपुत्र और पटना साहिब) से जीतकर अब तक सिर्फ चार बार कोई महिला सांसद देश की सबसे बड़ी पंचायत तक पहुंच सकी

पिछले पांच दशक के आम चुनाव इसके साक्षी हैं कि राजधानी किसी महिला जनप्रतिनिधि की पैरोकारी को तरस रही। पटना में ही सूबे के सभी सियासतदानों का जमावड़ा बना रहता है और अनंतकाल से पटना ही संयुक्त बिहार की राजधानी रही है।

आजादी के बाद वर्ष 1952 में हुए लोकसभा के आम चुनाव में राजधानी पटना की चार संसदीय सीटों पटना (पूर्वी), पाटलिपुत्र, पटना (मध्य) और पटना सह शाहाबाद में से सिर्फ पटना (पूर्वी) से कांग्रेस की उम्मीदवार के रूप में तारकेश्वरी सिन्हा ने 46.90 फीसद वोट पाकर जीत दर्ज कराई। अन्य तीनों सीटों में पटना (मध्य) से कैलाशपति सिन्हा, पाटलिपुत्र से सारंगधर सिन्हा और पटना सह शाहाबाद से बलराम भगत चुनाव जीते थे। उसके बाद 1957 के दूसरे चुनाव में फिर तारकेश्वरी सिन्हा ने बाढ़ संसदीय क्षेत्र से जीत दर्ज की। इस चुनाव में केवल दो सीटें बाढ़ व पटना ही रहीं। पटना सीट से सारंगधर सिन्हा जीते।

तीसरे चुनाव में बना रिकार्ड

1962 का तीसरा आम चुनाव राजधानी पटना के लिए ‘नायाब’ कहा जाएगा। दरअसल, यही एक ऐसा चुनाव रहा जब दोनों सीटों से महिला सांसद बनीं। बाढ़ से कांग्रेस की तारकेश्वरी सिन्हा ने 55.87 फीसद और पटना से कांग्रेस की ही रामदुलारी सिन्हा ने 44.89 फीसद मत प्राप्त कर जीत हासिल की। फिर 1967 के चौथे चुनाव में बाढ़ संसदीय सीट से कांग्रेस के टिकट पर चौथी बार लड़ीं तारकेश्वरी सिन्हा तो चुनाव जीत गईं, लेकिन पटना से प्रत्याशी रहीं रामदुलारी सिन्हा भाकपा के उम्मीदवार रामअवतार शास्त्री से हार गईं।

बाद के चुनाव में नहीं मिली कामयाबी

1967 के बाद हुए 12 आम चुनावों में कुछ को छोड़ राजधानी की दोनों सीटों से महिलाएं उम्मीदवार तो बनीं, लेकिन विजय पताका नहीं फहरा सकीं। छह चुनावों 1971, 1984, 1989, 1991, 2004 व 2009 के दौरान एक भी महिला उम्मीदवार नहीं रही। इसके अलावा अन्य चुनावों में दोनों सीटों में से किसी एक पर महिला चुनाव मैदान में तो रहीं, लेकिन जीत मयस्सर नहीं हुई। 2014 के चुनाव में राजद के टिकट पर मीसा भारती (वर्तमान में राज्यसभा सांसद) ने पाटलिपुत्र से उम्मीदवारी दाखिल की थी, लेकिन वह कड़े मुकाबले में 40,322 वोटों के अंतर से भाजपा के रामकृपाल यादव से हार गईं।

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