मोदी पर नीतीश का पलटवार : मांग रहे डबल इंजन, पायलट तो बताएं

विधानसभा चुनाव सिर पर है। नीतीश शासन के 10 साल पूरे होने को हैं। बीच में मांझी शासन के कुछ समय छोड़ कर। शासन व राजनीति के विभिन्‍न मुद्दों पर मुख्‍यमंत्री ने दैनिक जागरण से खास बातचीत की।

By Amit AlokEdited By: Publish:Mon, 27 Jul 2015 10:01 AM (IST) Updated:Mon, 27 Jul 2015 10:11 AM (IST)
मोदी पर नीतीश का पलटवार : मांग रहे डबल इंजन, पायलट तो बताएं

पटना [नवीन कुमार मिश्र] । चौड़े फ्रेम का चश्मा। भूरे टिंट ग्लास के पीछे शांत गहरी आंखें। रेटिना में परेशानी को लेकर चिकित्सकों की सलाह पर पहना है। तत्काल चौंधियाती रोशनी से परहेज। ये नीतीश कुमार हैं। राज्य के मुख्यमंत्री। जाहिर है रेटिना की परेशानी दूर होगी तो नजर और गहरी होगी। विधानसभा चुनाव सिर पर है। नीतीश शासन के 10 साल पूरे होने को हैं। बीच में मांझी शासन के कुछ समय छोड़ कर। मुख्यमंत्री ने रविवार को दैनिक जागरण से खास बातचीत की।

क्या लेकर चुनाव मैदान में जाएंगे? यह पूछने पर नीतीश कुमार ने इत्मीनान के भाव से कहा कि चुनाव में हमारा काम और सद्भाव का माहौल हमारे पक्ष में काम करेगा।

उन्होंने कहा कि गठबंधन में लालू प्रसाद से मिल कर चुनाव मैदान में और लोगों के मन में पनपने वाली आशंकाओं को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि गाड़ी आगे बढ़ चुकी है। उन चीजों की कल्पना करना बेकार है। लोगों के मन में कानून-व्यवस्था को लेकर विश्वास पैदा हो गया है। डर उनके मन से निकल चुका है।

उन्होंने कहा कि भाजपा डर पैदा करने की कोशिश कर रही है। गठबंधन में निचले स्तर पर एकता से जुड़े सवाल पर कहा कि राजद, कांग्रेस सब अपनी, अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं। सरकार अपना काम कर रही है। सर्वे के हवाले कहा कि कहीं भी एंटी इंकम्बेंसी नहीं दिख रही। ऐसे में प्रधानमंत्री भी ऐसा बोल रहे हैं जो उनकी मर्यादा के अनुकूल नहीं है।

आपने क्या कह दिया कि मुजफ्फरपुर में प्रधानमंत्री .....। नीतीश कुमार ने कहा कि वे डिरेल ट्रेन पर सवाल होकर ही आए थे। यदुवंशी की चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कहीं जातीय स्तर पर उतरते हैं। लालू प्रसाद पर यह उनका बिलो बेल्ट प्रहार था।

भोज रद करने और मन आहत होने की बात। नीतीश ने काि कि ऐसा था तो पहले ही मेरी सरकार से समर्थन वापस ले लेना चाहिए था। 2010 का चुनाव तो भोज रद होने के बाद हुआ। मेरे नेतृत्व में चुनाव क्यों लड़ा।

चुनावी एजेंडा जाति, धर्म या विकास? नीतीश कुमार कहते हैं भाजपा का प्रयास जाति धर्म को लेकर बहुत ज्यादा है। वे डबल इंजन मांग रहे हैं। दिल्ली के साथ पटना में भी। मगर पायलट कौन होगा इसकी घोषणा ही नहीं कर रहे। भाजपा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं कर रही है। सब को झांसे में रखे हुए है ताकि उनकी जाति का वोट मिल जाए।

उन्होंने कहा कि विकास उनका एजेंडा रहता तो नाम घोषित क्यों नहीं करते। अंत में नफरत का भाव आजमाने में लगे हैं। गांवों में फिजूल के बात का बतंगड़ बनाया जा रहा है। जब से भाजपा अलग हुई है। इस तरह की घटनाएं बढ़ी हैं। मगर नियंत्रण के लिए हमारी नजर लगातार है।

वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हैं। कहा कि लोकसभा चुनाव के समय उन्होंने बिहार के लिए वादा किया था। अब मुकर गए। संसद के मानसून सत्र को बाधक बना रहे हैं। तो फिर यहां कैसे विभिन्न योजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन कर दिया। सड़कों के लिए पैसे की घोषणा कर दी।

कहा, अब भी मौका मांग रहे हैं। 14 माह काम करने का मौका था कुछ करना होता तो कर नहीं देते? कल चुनावी आचार संहिता लागू हो जाएगी और वे लाचारी जाहिर कर देंगे। सिर्फ शब्दजाल बिछा गए।

वे फिर चुनावी एजेंडे पर लौटते हैं। कहते हैं जातीय, साम्प्रदायिक सद्भाव कायम रहे। बिहार यूनाइटेड है मगर बांटने की कोशिश होगी। प्रधानमंत्री ने जो भाषण दिया वह उनके पद की गरिमा के अनुरूप नहीं था। डीएनए में गड़बड़ी की बात की।

नीतीश ने कहा, मैं बिहार का बेटा, यहां पैदा हुआ, यानी खून में गड़बड़ी। खुद सवाल किया कि भावार्थ क्या है? नीतीश कुमार को मलाल है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के समारोह में उन्हें मौका नहीं दिया गया। कहा कि मैं केंद्रीय कृषि मंत्री के नाते खुद पूर्व में इसकी अध्यक्षता कर चुका हूं। कहते हैं भाजपा के हाइटेक चुनाव प्रचार का कोई असर नहीं पडऩे वाला। लालू जी टमटम पर और हमारे लोग साइकिल पर निकलेंगे। घर-घर तो जा ही रहे हैं।

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