विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष: अधिक शोर दिल को कर रहा कमजोर, हो रहे ये रोग

प्रेशर हॉर्न की कानफाड़ू आवाज अब राजधानी पटना में रहने वालों की नियति बन चुकी है।

By Ravi RanjanEdited By: Publish:Tue, 05 Jun 2018 10:49 PM (IST) Updated:Tue, 05 Jun 2018 11:17 PM (IST)
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष: अधिक शोर दिल को कर रहा कमजोर, हो रहे ये रोग
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष: अधिक शोर दिल को कर रहा कमजोर, हो रहे ये रोग

पटना [चन्द्रशेखर]। शहर के अधिकांश सड़क पर वाहनों की लंबी कतार उसके ऊपर प्रेशर हॉर्न की कानफाड़ू आवाज अब राजधानीवासियों की नियति बन चुकी है। वाहनों के प्रेशर हॉर्न व घनी आबादी में बजने वाले लाउडस्पीकर से पूरे शहर में शोर ही शोर का अनुभव होने लगा है। शहर की जिस सड़क से गुजरेंगे वाहनों की लंबी कतार लगी रहती है।

शहर के हर मोहल्ले में उत्सव हॉल के रूप में शोर उगलने वाली फैक्ट्रियां लगा दी गई हैं। ये आम जनता को बीमार कर रही है। ध्वनि प्रदूषण कई तरह की बीमारियां बांट रहा है। इसका सबसे अधिक प्रभाव आम लोगों की श्रवण शक्ति पर पड़ रहा है। सड़कों पर तेज आवाज कान में जाने के कारण लोगों की सुनने की शक्ति कम हो रही है।

शहर में तेजी से बढ़ रहा है ध्वनि प्रदूषण का स्तर

दस साल पहले शहर का ध्वनि प्रदूषण का स्तर दिन में 60 से 65 डेसीबल से अधिक नहीं होता था। दीपावली की रात में यह आंकड़ा 80 से 85 डेसीबल तक पहुंच जाता था। आम दिन यह आंकड़ा आम दिनों में 75 से 80 के आसपास रहने लगा है। किसी त्योहार के दौरान दिन में यह आंकड़ा 90 डेसीबल तक पहुंचने लगा है। दीपावली में तो कुछ मोहल्लों में यह आंकड़ा 95 से 100 डेसीबल को भी पार कर जाता है।

किस क्षेत्र में कितना हो ध्वनि का स्तर

आधुनिक अनुसंधानों के बाद ध्वनि के स्तर को चार भागों में बांटा गया है। किसी भी शहर के औद्योगिक क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर दिन में सुबह छह बजे से रात नौ बजे के बीच 75 डेसीबल से अधिक नहीं होना चाहिए। रात में नौ बजे से सुबह छह बजे तक यह स्तर 70 से अधिक नहीं हो। वाणिज्यिक क्षेत्रों में दिन में 65 एवं रात में 60 डेसीबल से अधिक न हो, आवासीय क्षेत्र में यह 55 एवं 45 डेसीबल से अधिक न हो। साइलेंस जोन में दिन में 50 एवं रात में 40 डेसीबल से अधिक का शोर नहीं होना चाहिए।

किन मोहल्लों में कितना है ध्वनि का स्तर

राजधानी में घ्वनि प्रदूषण का असर तेजी से बढऩे लगा है। एएन कालेज के पर्यावरण विभाग के छात्रों द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक राजधानी के विभिन्न मोहल्लों में ध्वनि प्रदूषण का आंकड़ा निम्नलिखित है-

डाकबंगला चौक- 82.5 डेसीबल

एक्जीविशन रोड- 83.4 डीबी

जेपी गोलंबर - 83.9 डीबी

संजय गांधी जैविक उद्यान- 53.9 डीबी

कारगिल चौराहा - 81.3 डीबी

पीएमसीएच मुख्य प्रवेश द्वार- 82.8

आर.ब्लाक - 81.4 डीबी

कंकड़बाग - 82.3 डीबी

राजेन्द्र नगर टर्मिनल - 83.7 डीबी

पटना सिटी चौक - 83.7 डीबी

नाला रोड - 82.9 डीबी

कदमकुआं - 82.6 डीबी

ध्वनि प्रदूषण से होने वाली बीमारियां

ध्वनि प्रदूषण उच्च ध्वनि ऊर्जा जनित प्रदूषण है। जिन क्षेत्रों में सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण हो रहा है वहां सबसे अधिक शारीरिक व मानसिक रोगी हो रहे हैं। अधिक ध्वनि प्रदूषण से लोगों में बहरापन व तेज बोलने की शिकायतें बढ़ रही हैं। अधिक शोर के कारण चिड़चिड़ापन बढ़ गया है। तेज हॉर्न से लोगों को काफी परेशानी हो रही है।

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