माय सिटी माय प्राइड: 41 रुपये की गुरु दक्षिणा से संवर रही तकदीर

अगले ही वर्ष इनमें से एक छात्र की नौकरी लग गई। इसके बाद इनके पास छात्रों के आने की सिलसिला आरंभ हो गया।

By Nandlal SharmaEdited By: Publish:Wed, 26 Sep 2018 08:08 AM (IST) Updated:Wed, 26 Sep 2018 08:08 AM (IST)
माय सिटी माय प्राइड: 41 रुपये की गुरु दक्षिणा से संवर रही तकदीर

जागरण संवाददाता, पटना : ऐसे दौर में जब शिक्षा कारोबार का रूप ले चुकी है, कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जो अब तक 'गुरुकुल' की पंरपरा को जिंदा रखे हुए हैं। उनके लिए आज भी शिक्षा दान है। राजधानी के नया टोला के एम रहमान ऐसे ही शिक्षक हैं, जो महज 51 रुपये की गुरुदक्षिणा लेकर गरीबों को शिक्षा दान दे रहे हैं। बड़ी बात है कि उनसे पढ़े ऐसे कई वंचित छात्र आज पुलिस व सरकारी विभागों में बड़े पद पर काबिज हैं।

1994 से पढ़ा रहे बच्चों को

एम रहमान वर्ष 1994 से गरीब छात्रों को शिक्षित कर रहे हैं। खुद पढ़ते हुए भी वे दूसरों को पढ़ाते थे। वर्ष 2002 में यूपीएससी के साक्षात्कार में सफल नहीं होने के बाद उन्होंने शिक्षण को ही अपन कॅरियर बना लिया। उन्होंने असहाय व गरीबों को शिक्षा देने की ठानी। इसके बाद अदम्य अदिति गुरुकुल की स्थापना की। वर्तमान समय में सैकड़ों दारोगा, दर्जनों एसडीओ, डीएसपी सहित विभिन्न विभागों में अधिकारी व कर्मचारी इनके विद्यार्थी रह चुके हैं।

पैसे के प्रति कभी नहीं रहा लगाव

चार विषयों में पीजी व दो विषयों में पीएचडी कर चुके डॉ. एम रहमान के पिता बिहार पुलिस में इंस्पेक्टर थे। मन में लालसा थी कि वह भी समाज के लिए कुछ करें। फिर क्या पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाई के साथ-साथ गरीब छात्रों को भी पढ़ाना आरंभ किया। पहले कुछ महीनों तक 10 से 15 छात्र ही पढ़ाई के लिए आते थे।

अगले ही वर्ष इनमें से एक छात्र की नौकरी लग गई। इसके बाद इनके पास छात्रों के आने की सिलसिला आरंभ हो गया। जब शिक्षा क्षेत्र में इनका नाम भी हो गया तब भी पैसे से कोई वास्ता नहीं रहा। गांव-देहात से आने वाले गरीब छात्रों से कोई राशि नहीं लेते। उनसे महज 11 से लेकर 51 रुपये तक गुरु दक्षिणा लेकर एडमिशन लेते हैं। इसके बाद छात्र नियमित रूप से कक्षा कर लक्ष्य में जुट जाते हैं।

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