अभी पस्त नहीं हुए हैं मांझी के हौसले, 35 सीटों पर लड़ेंगे बिहार में विधानसभा चुनाव

2015 में भी 35 सीटों पर लड़ना चाहते थे जीतनराम मांझी। वे उस समय एनडीए में थे। अब समीकरण बदल गया है। लेकिन वे 2020 के लिए भी 35 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Thu, 13 Jun 2019 08:11 PM (IST) Updated:Thu, 13 Jun 2019 11:01 PM (IST)
अभी पस्त नहीं हुए हैं मांझी के हौसले, 35 सीटों पर लड़ेंगे बिहार में विधानसभा चुनाव
अभी पस्त नहीं हुए हैं मांझी के हौसले, 35 सीटों पर लड़ेंगे बिहार में विधानसभा चुनाव

पटना [सुनील राज]। पिछले पांच वर्षों से राजनीति में अपनी पार्टी को एक मुकाम दिलाने के लिए प्रयासरत पूर्व मुख्यमंत्री व हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी के हौसले पस्त नहीं हुए हैं। विगत दो चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद भी निराश हुए बगैर वे नई उर्जा के साथ अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं।

लोकसभा चुनाव में मिली हार की समीक्षा
मांझी ने लोकसभा चुनाव में पराजय की समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक में पार्टी के नेताओं और जिलाध्यक्षों के बीच यह संदेश देने की कोशिश की कि पराजय से किसी को निराश होने की जरूरत नहीं। अभी साल भर का वक्त है। पार्टी के नेता कार्यकर्ता अभी से विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं। उन्होंने बैठक में एलान कर दिया है कि पार्टी बिहार के 35 विधानसभा क्षेत्र से अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। पार्टी प्रवक्ता दानिश रिजवान ने इस बात की पुष्टि भी की है। 

विधानसभा क्षेत्रों की बनेगी सूची
हम सूत्रों ने बताया कि मांझी की ओर से पार्टी नेताओं को निर्देश दिए गए हैं कि 30 से 35 ऐसे विधानसभा क्षेत्रों का चयन करें जहां पार्टी का आधार वोट बैंक हो। इसके साथ ही नेताओं को नए क्षेत्र चिह्नित करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। बताया जाता है कि पार्टी ने अगले महीने संसदीय दल की बैठक बुलाई है, जिसमें सीटों का अंतिम चयन करते हुए इस संबंध में महागठबंधन के सामने प्रस्ताव रखा जाएगा। 

2015 में 21 सीटों पर हम ने लड़ा था चुनाव
मांझी 2015 में भी विधानसभा की 35 सीटों पर किस्मत आजमाना चाह रहे थे। लेकिन, 2015 में एनडीए की घटक रही मांझी की पार्टी हम को 21 सीटों पर चुनाव लडऩे का मौका मिला था। 21 सीटें मिलने से नाराज मांझी ने उस वक्त कहा था कि यदि उन्हें 35 सीटों पर किस्मत आजमाने का मौका मिलता तो पार्टी के प्रदर्शन का फायदा एनडीए को होता, लेकिन मांझी का दावा तब बेकार साबित हुआ, जब 21 सीटों पर लडऩे के बाद भी उनकी पार्टी सिर्फ एक विधानसभा सीट पर जीत हासिल कर सकी। खुद मांझी ने मखदुमपुर और इमामगंज से किस्मत आजमाई और मखदुमपुर सीट से पराजित रहे। इमामगंज से उन्होंने उदय नारायण चौधरी का शिकस्त दी थी। अब एक बार फिर उन्होंने 35 सीटों पर किस्मत आजमाने की तैयारी शुरू कर दी है। देखना है मांझी अपने दांव में इस बार कहां तक सफल हो पाते हैं। 

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