चारा घोटाला: दुमका मामले में लालू प्रसाद दोषी करार, जगन्‍नाथ मिश्र बरी

चारा घोटाला के दुमका कोषागार से जुड़े मामले में रांची की सीबीआइ कोर्ट ने आज डॉ. जगन्‍नाथ मिश्र को रिहा कर दिया। कोर्ट ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया।

By Amit AlokEdited By: Publish:Mon, 19 Mar 2018 10:45 AM (IST) Updated:Tue, 20 Mar 2018 06:17 PM (IST)
चारा घोटाला: दुमका मामले में लालू प्रसाद दोषी करार, जगन्‍नाथ मिश्र बरी
चारा घोटाला: दुमका मामले में लालू प्रसाद दोषी करार, जगन्‍नाथ मिश्र बरी
style="text-align: justify;">पटना/ रांची [जागरण टीम]। चारा घोटाला के दुमका मामले में सोमवार को फैसले का दिन है। सीबीआइ की की विशेष अदालत ने आज पूर्व मुख्‍यमंत्री डॉ. जगन्‍नाथ मिश्र को सहित 12 आरोपितों को बरी कर दिया, जबकि लालू प्रसाद यादव सहित शेष सभी को दोषी करार दिया गया। बीमारी की वजह से जगन्‍नाथ मिश्र ह्वील चेयर पर अदालत पहुंचे तो लालू प्रसाद को एंबुलेंस से अदालत लाए गए। लालू को भारतीय दंड सहिता की जिन धाराओं में दोषी करार दिया गया है, वे गंभीर हैं। ऐसे में उन्‍हें बड़ी सजा की संभावना है।
अदालत ने दोषियों के खिलाफ सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 21, 22 और 23 मार्च की तिथि निर्धारित की है। अदालत ने कहा है कि सजा के बिंदु पर सुनवाई वीडियो काफ्रेसिंग से होगी। लालू इसके पहले चारा घोटाला के तीन मामलों में दोषी करार दिए जा चुके हैं। वे रांची के होटवार जेल में सजा काट रहे हैं। लालू आगे भी चारा घोटाला के दो अन्‍य मामलों में आरोपित हैं, जिनकी सुनवाई चल रही है।

सियासी बयानबाजी का दौर शुरू
सभी आरोपितों को दोपहर 12 बजे तक हाजिर होन का निर्देश दिया गया था। अदालत परिसर व आसपास राजद समर्थकों की भीड़ जमा रही। लालू यादव को दोषी करार दिए जाने के बाद उनमें निराशा देखी गई। अदालत के फैसले के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का आना भी जारी है।
राजद के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि चारा घोटाला के एक ही तरह के मामले में जगन्‍नाथ मिश्र को राहत, लेकिन लालू को दोषी करार दिया गया है। उन्‍होंने व्‍यंग्‍य करते हुए डॉ. मिश्र को रिहा, जबकि लालू को सजा के लिए इशारों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमला किया। लालू प्रसाद यादव की पत्‍नी व पूर्व मुख्‍यमंत्री राबड़ी देवी ने अदालत पर आस्‍था व्‍यक्ति करते हुए कहा कि वे फैसले का सम्‍मान करती हैं। अब न्‍याय के लिए वे ऊपरी अदालत जाएंगे।
एंबुलेंस से अदालत लाए गए लालू
लालू प्रसाद यादव इन दिनों बीमार हैं। चारा घोटाला में फैसले को लेकर हाजिर होने के लिए लालू की ओर से आवेदन दाखिल किया गया कि उन्‍हें एंबुलेंस से अदालत लाने की अनुमति दी जाए। इसके बाद उन्‍हें एंबुलेंस से अदालत लाया गया।
दुमका कोषागार से जुड़ा है मामला
विदित हो कि तत्‍कालीन बिहार (अब झारखंड) के दुमका कोषागार से करीब 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में दर्ज मुकदमा नंबर आरसी 38ए/96 में लालू प्रसाद यादव, डॉ. जगन्‍नाथ मिश्र, पूर्व सांसद डॉ. आरके राणा व जगदीश शर्मा सहित कुल 31 आरोपी हैं। इस मामले में लालू प्रसाद यादव सहित अन्य पर धोखाधड़ी और अन्‍य धाराओं में मुकदमा दर्ज है। इस मामले में सीबीआइ कोर्ट ने पांच मार्च को सुनवाई पूरी की थी।
10 साल तक हो सकती सजा
लालू यादव पर 96 फर्जी वाउचर के जरिए दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार से 3.76 करोड़ की अवैध निकासी मामले में दोषी पाए गए हैं। ये पैसे जानवरों के खाने के सामान, दवाओं और कृषि उपकरण के वितरण के नाम पर निकाले गए थे। उस दौरान पैसे के आवंटन की सीमा अधिकतम एक लाख 50 हजार ही थी। जब यह निकासी हुई थी लालू उस समय मुख्यमंत्री थे। काननू विशेषज्ञों की राय में लालू पर जिन धाराओं में दोषर पाए गए हैं, उन्‍हें 10 साल तक की सजा हो सकती है।
तीन मामलों में हो चुकी सजा, एक में दोषी करार
लालू यादव अब तक चारा घोटाला में तीन मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं। लालू को चाईबासा कोषागार के दो मामलों मामले में पांच-पांच साल तथा देवघर कोषागार मामले में साढ़े तीन साल की सजा मिल चुकी है। दुमका कोषागार में घोटाला मामले में लालू आज दोषी करार दिए जा चुके हैं। इसमें सजा का एलान 21, 22 व 23 मार्च को होना है। डोरंडा कोषागार से जुड़ा चारा घोटाले का पांचवा मामला सबसे बड़ा है, जिसमें करीब 139.35 करोड़ की अवैध निकासी का आरोप है। इसके अलावा लालू भागलपुर के एक और मामले में आरोपित हैं।
फिलहाल रांची जेल में सजा काट रहे लालू
फिलहाल लालू प्रसाद रांची के होटवार सेंट्रल जेल में सजा काट रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार चारा घोटाला में लगातार तेज सुनवाई हो रही है। इसी का नतीजा है कि चारा घोटाला के मामलों में एक के बाद एक लगाातर फैसले आ रहे हैं।
इन 31 अभियुक्तों पर आया फैसला
- लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री : दोषी
- डॉ. जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व मुख्यमंत्री : बरी
- ध्रुव भगत, तत्कालीन अध्यक्ष, लोक लेखा समिति : बरी
- डॉ. आरके राणा, पूर्व सांसद : बरी
- जगदीश शर्मा, तत्कालीन अध्यक्ष लोक लेखा समिति : बरी
- विद्यासागर निषाद, पूर्व मंत्री : बरी
- अधीप चंद्र चौधरी, कमिश्नर आइटी : बरी
- अरुण कुमार सिंह, पार्टनर विश्वकर्मा एजेंसी: दोषी
-अजित कुमार शर्मा, प्रोपराइटर लिटिल ओक : दोषी
-विमल कांत दास, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर : दोषी
- बेक जूलियस, तत्कालीन सचिव :
- बेनू झा, प्रोपराइटर लक्ष्मी इंटरप्राइजेट :
- गोपी नाथ दास, प्रोपराइटर, राधा फार्मेसी :
- केके प्रसाद, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर :
- लाल मोहन प्रसाद, प्रोपराइटर आरके एजेंसी : बरी
- मनोरंजन प्रसाद, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर : दोषी
- एमसी सुवर्णों, तत्कालीन डिविजनल कमिश्नर : बरी
- महेश प्रसाद, तत्कालीन सचिव
- एमएस बेदी, प्रोपराइटर सेमेक्स क्रायोजेनिक्स : दोषी
- नरेश प्रसाद, प्रोपराइटर वायपर कुटीर
- नंद किशोर प्रसाद, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर : दोषी
- ओपी दिवाकर, तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक : दोषी
- पंकज मोहन भुई, तत्कालीन एकाउंटेंट
- पितांबर झा, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर : दोषी
- पीसी सिंह, तत्कालीन सचिव
- रघुनाथ प्रसाद, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर
- राधा मोहन मंडल, तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर : दोषी
- राजकुमार शर्मा, ट्रांसपोर्टर : दोषी
- आरके बगेरिया, ट्रांसपोर्टर
- सरस्वती चंद्रा, प्रोपराइटर, एसआर इंटरप्राइजेज
- एसके दास, तत्कालीन असिस्टेंट
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