एक वर्ष में मात्र 20 लोगों ने किया नेत्रदान

पटना। सूबे में नेत्रदान के प्रति लोगों में जागरूकता नहीं होने के वजह से एक वर्ष में मात्र 20

By Edited By: Publish:Thu, 26 Nov 2015 03:05 AM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2015 03:05 AM (IST)
एक वर्ष में मात्र 20 लोगों ने किया नेत्रदान

पटना। सूबे में नेत्रदान के प्रति लोगों में जागरूकता नहीं होने के वजह से एक वर्ष में मात्र 20 लोगों ने नेत्र दान किया है। इससे सूबे के 38 लोगों को रोशनी दी गई। जबकि आइजीआइएमएस के पास 300 से अधिक लोगों की लंबी वेटिंग लिस्ट है। वर्तमान में यहां से पूरे बिहार में आइ कलेक्शन के लिए टीम नहीं जा पाती, क्योंकि किसी व्यक्ति की मृत्यु के चार घंटे के भीतर की आंख प्रत्यारोपण के लिए ज्यादा सही होता है। वैसे, छह घंटा तक जमा किया जा सकता है, लेकिन रोशनी में थोड़ी-बहुत अंतर आने की संभावना रहती है। प्रत्यारोपण के लिए भी कुछ समय बढ़ जाता है, इसीलिए अभी आरा, बक्सर, नालंदा, छपरा, मुजफ्फरपुर व पटना के विभिन्न इलाके में आंख कलेक्शन के लिए आइजीआइएमएस से टीम जाती है। बता दें कि कॉर्निकल अंधता से पीड़ित व्यक्ति का एकमात्र इलाज कॉर्निया का प्रत्यारोपण है, जो किसी के नेत्रदान से ही संभव है।

नेत्रदान में आती हैं ये परेशानी

- लोगों में जागरूकता की कमी

- आइ कलेक्शन सेंटरों का जिले में अभाव

- लोगों में अंधविश्वास कायम होना

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

एक व्यक्ति के नेत्रदान से दो लोगों को रोशनी दी जा सकती है। नेत्रदान महादान है, इससे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती, बल्कि इससे किसी की जीवन में रोशनी आती है। बच्चे, बड़े कोई भी व्यक्ति नेत्रदान कर सकते है। इसमें कॉर्निया का कलेक्शन होता है। केवल एड्स, सिफिलिस, हेपेटाइटिस, रेबीज पीड़ित व्यक्ति नेत्र दान नहीं कर सकते है।

- डॉ. सुनील कुमार सिंह, नेत्र विशेषज्ञ सह सदस्य शासी निकाय आइजीआइएमएस

-वर्तमान में नेत्र कलेक्शन के लिए छपरा, सारण, नालंदा, आरा, बक्सर, मुजफ्फरपुर व पटना तक टीम जाती है। आइजीआइएमएस ने अब तक तीन दर्जन से अधिक लोगों के जीवन में रोशनी लाई। टीम 24 घंटे तैयार रहती है।

- डॉ. एसके शाही, अधीक्षक, आइजीआइएमएस

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