जॉर्ज फर्नांडिस: जमीन पर उतारा गैर कांग्रेसवाद, वंशवाद के खिलाफ लड़ते बीता जीवन

समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस नहीं रहे। उन्‍होंने आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी की कड़ी मुखालफत की थी। सही अर्थों में उन्‍होंने ही लोहिया के समाजवाद को मजबूत आधार दिया।

By Amit AlokEdited By: Publish:Tue, 29 Jan 2019 06:57 PM (IST) Updated:Wed, 30 Jan 2019 08:08 AM (IST)
जॉर्ज फर्नांडिस: जमीन पर उतारा  गैर कांग्रेसवाद, वंशवाद के खिलाफ लड़ते बीता जीवन
जॉर्ज फर्नांडिस: जमीन पर उतारा गैर कांग्रेसवाद, वंशवाद के खिलाफ लड़ते बीता जीवन

पटना [दीनानाथ साहनी]। भारतीय राजनीति में सर्वप्रथम डॉ. राम मनोहर लोहिया ने गैर कांग्रेसवाद की कल्पना की थी। उन्होंने ही देश में समाजवादी विचारधारा के लोगों को गैर कांग्रेसवाद का सिद्धांत दिया था और आगे का रास्ता दिखाया था। मगर सही मायने में ट्रेड यूनियन की संघर्षपूर्ण राजनीति से उभरे जुझारू नेता जॉर्ज फर्नांडीस ही देश में गैर कांग्रेसवाद के शिल्पी रहे। वे ताउम्र कांग्रेसवाद और वंशवाद से लड़ते रहे।

उन्होंने अपने अथक प्रयासों से लोहिया के सिद्धांतों को जमीन पर उतारा और समाजवादियों के लिए ऐसी उर्वर जमीन तैयार कर दी, जिसपर देश में गैर कांग्रेसवाद की मुखालफत करने वाले समाजवादी पृष्ठभूमि के नेताओं ने मजबूत सियासी ताकत हासिल की और सत्ता में आए।

डॉ. लोहिया 1967 में ही चल बसे, लेकिन उन्होंने गैर कांग्रेसवाद की जो विचारधारा चलायी उसी की वजह से आगे चलकर 1977 में पहली बार केन्द्र में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में गैर कांग्रेसी सरकार बनी। तब लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने डॉ. लोहिया के गैर कांग्रेसवाद के सिद्धांत पर पूरा अमल किया था और इंदिरा गांधी का विरोध करते हुए समाजवादियों को एक मंच पर लाकर जनता पार्टी की सरकार बनवायी।

गैर कांग्रेसवाद की जमीन तैयार करने में लगा दी ऊर्जा

जॉर्ज फर्नांडीस ताउम्र कांग्रेसवाद और वंशवाद से लड़ते। उन्होंने गैर कांग्रेसवाद की जमीन तैयार करने में अपनी सारी ऊर्जा लगा दी। इस प्रयास में कई बार वे हारे भी, पर हताश नहीं हुए। जज्बा कायम रखा और समाजवादियों को एक मंच पर लाने में लगे रहे। इसमेें वे सफल भी हुए।

जॉर्ज के प्रयासों से बनी थी वीपी सिंह की सरकार

पूरे देश में गैर कांग्रेसवाद की अलख जगाने वाले जॉर्ज चाहते थे कि सभी सोशलिस्ट एकजुट होकर मजबूत मंच बनाएं और कांग्रेसवाद का विरोध करें। उनके अथक प्रयासों का फल था कि केंद्र में पहले वीपी सिंह के नेतृत्व में संयुक्त मोर्चे की सरकार बनी। हालांकि, यह सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पायी। इसके बाद कांग्रेस की वापसी हुई और पीवी नरसिम्हा राव की सरकार बनी। मगर जॉर्ज गैर कांग्रेसवाद की जड़ें जमाने में जुटे रहे।

राजग के पहले संयोजक बनाए गए जॉर्ज

उनके ही प्रयास से कांग्रेस के विरुद्ध एक मंच बना, जिसने भाजपा के नेतृत्व में राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का रूप लिया। इसके पहले संयोजक जार्ज बने और फिर केंद्र से कांग्रेसी सरकार को हटाने में जुट गए। उनके ही प्रयास से केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व की गैरकांग्रेसी सरकार की वापसी हुई जो पहली बार पूरे पांच साल तक चली।

वंशवाद की राजनीति का किया विरोध

इंदिरा गांधी को भी कंपकंपी छुड़ा देने वाले जार्ज मानते थे कि अधिक समय तक सत्ता में रहकर कांग्रेस अधिनायकवादी हो गयी थी और वह उसके खिलाफ संघर्ष करते रहे। उन्‍होंने राजनीति में वंशवाद का भी ताउम्र विरोध किया।

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